जमशेदपुर : जमशेदपुर के गोलमुरी इलाके के मथुरा बगान में नगर विकास की निधि से बनाये गये पार्क को जुआड़ियों का अड्डा उत्पातियों ने बना दिया है. इसको लेकर सरयू राय ने जमशेदपुर अक्षेस के विशेष पदाधिकारी को पत्र लिखा है. इस पत्र में कहा गया है कि वे बुधवार को प्रातः क्षेत्र भ्रमण के दौरान गोलमुरी इलाके में गया था. नागरिकों ने बताया कि यहां के मथुरा बगान में नगर विकास विभाग की निधि से एक पार्क का निर्माण 2 वर्ष पूर्व हो रहा था, जो अधूरा है और नशेड़ियों एवं जुआरियों का अड्डा बन गया है. नागरिकों और अपने साथी कार्यकर्ताओं के साथ स्थल पर गया तो पाया कि वहां पार्क के नाम पर जो भी संरचानाएं खड़ी की गयी हैं वे बदहाल स्थिति में हैं. शौचालयों के दरवाजे, पार्क के सामने लगे लोहे के ग्रिल, सीवरेज के ढक्कन, बिजली के केबुल आदि को अड्डेबाजों और नशेडियों ने या तो तोड़ दिया है या काटकर अपने साथ ले गये हैं. जगह-जगह पर शराब की बोतलें एवं पाऊच बिखरे पड़े हैं. पार्क का पूरा मैदान झाड़ियों से भर गया है. सरयू राय ने बताया कि उनको स्थानीय लोगों ने बताया कि इस पार्क का निर्माण नगर विकास विभाग की निधि से प्रारंभ हुआ था. जिस संवेदक को यह काम मिला था, उसके द्वारा सामानों एवं स्थल की हिफाजत के लिए नियुक्त गार्ड और उनके परिवार के लोग मिलने आये. उन्होंने बताया कि संवेदक ने उन्हें कुछ दिनों तक वेतन भुगतान किया था. पार्क के आस-पास स्थित घरों के लोग भी मिलने आये और बताया कि पार्क में अड्डेबाजी करने वालों और नशा करने वालों के कारण उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यदि इस पार्क निर्माण का आरंभ नगर विकास विभाग की निधि से हुआ है और इसके लिए कोई संवेदक नियुक्त किया गया है तो इसका ब्योरा जमशेदपुर अक्षेस कार्यालय में अवश्य होगा. यह विवरणी भी होगी कि पार्क के निर्माण के लिए कितनी निधि स्वीकृत हुई थी, कितनी निधि अब तक विमुक्त की गयी है, संवेदक ने निर्माण के उपरांत पार्क को हैंडओवर किया है या नहीं, आदि सूचनाएं अवश्य जमशेदपुर अक्षेस के कार्यालय में होगी. श्री राय ने पत्र में कहा है कि एक बार इस निर्माण की समीक्षा आवश्यक है. यह भी आवश्यक है कि निर्माण के उपरांत पार्क के नियमित रख-रखाव की व्यवस्था के संबंध मे जमशेदपुर अक्षेस द्वारा क्या व्यवस्था निर्धारित की गयी है. तदुपरांत पार्क के अधूरे निर्माण कार्य को पूरा करने और पार्क को सही स्वरूप में लाने की योजना बनाना आवश्यक प्रतीत हो रहा है ताकि इसपर हुआ व्यय निष्फल नहीं हो.