खबरJamshedpur notified area committee action questioned - जमशेदपुर अक्षेस के बिष्टुपुर और...
spot_img

Jamshedpur notified area committee action questioned – जमशेदपुर अक्षेस के बिष्टुपुर और साकची में की गयी कार्रवाई को लेकर शिकायतकर्ता नाराज, 1 नंबर भवन से कार्रवाई शुरू नहीं कर भवन नंबर 109 पर कार्रवाई कर जमशेदपुर अक्षेस कर रहा दिखावा, सरकार तत्काल विशेष पदाधिकारी पर करें एफआइआर, निलंबित किया जाये

राशिफल

जमशेदपुर : जमशेदपुर अक्षेस द्वारा शनिवार को कुछ भवनों के बेसमेंट में की गयी तोड़फोड़ की कार्रवाई पर पीटिशनर राकेश झा के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अक्षेस की यह कार्रवाई कानून और उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ तो हैं ही बल्कि यह पक्षपातपूर्ण और शरारतपूर्ण कारवाई भी है और इस वजह से अक्षेस के विशेष पदाधिकारी के खिलाफ सरकार को तुरंत एफआइआर दायर कर उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि विशेष पदाधिकारी की कार्रवाई हैरान करने वाला है. अक्षेस को यह आदेश दिया गया है कि नक्शा विचलन कर, जो भवन अवैध रूप से बने हैं उन्हें तोड़ा जाये. जमशेदपुर में 578 अवैध भवनों को सिर्फ जी+2 का निर्माण करने की अनुमति दी गयी है पर सारे बिल्डरों ने अक्षेस और उपायुक्तों के साथ सांठगांठ कर जी+6 और जी+7 तक निर्माण किया है. (नीचे भी पढ़ें)

इसके अलावे सारे बिल्डरों ने पार्किंग की जगह को व्यवसायिक उपयोग के लिए गैरकानूनी तरीके से बेच दिया। अक्षेस ने 578 अवैध भवनों में सिर्फ 18 को ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट दिया है. म्युनिसिपल एक्ट, 2011 की धारा 440 के अनुसार उन अवैध भवनों में बिजली पानी का कनेक्शन नहीं दिया जाना था पर टाटा स्टील यूआइएसएल (पहले जुस्को) ने अपने व्यवसायिक हित के लिए इन अवैध भवनों को बिजली पानी का अवैध कनेक्शन दिया और सारे भवन बिल्डरों ने अवैध तरीके से बेच दिये. उन्होंने कहा कि अक्षेस को अगर सिर्फ पार्किंग की जगह पर व्यवसायिक इस्तेमाल के लिए बने अवैध निर्माण को ही तोड़ना था तो भी उसे यह कारवाई भवन नंबर 1 से शुरू करनी थी पर उसने भवन संख्या 109 से दिखावे की कार्रवाई शुरू की. भवन संख्या 109 के बगल में दयाल इंटनेशनल है, जिसका नक्शा जी+2 का है जबकि इमारत बनी है जी+6। बेसमेंट में रेस्तरां और पार्किंग एरिया में रिसेप्शन है और बार चलता है. इससे भी अधिक पूरा फुटपाथ व गली घेरने वाले निर्माण कर्ता पर अक्षेस की नज़र नहीं पड़ी. उन्होंने सवाल किया कि बिल्डर अनुप चटर्जी, जो आदतन अवैध निर्माणकर्ता है जिसकी सबसे ज़्यादा भवनों को नोटिस दिया गया है उसकी एक भवन की होल्डिंग्स संख्या -1 होने के बावजूद उससे कार्रवाई की शुरुआत न कर सीधे भवन संख्या 109 पर क्यों की गयी. अक्षेस की टीम और उच्च न्यायालय के आदेशानुसार कौन सी कार्रवाई की? उन्होंने कहा कि कानूनन आर्किटेक्ट की ज़िम्मेदारी थी अपने पारित नक़्शों पर अवैध निर्माण को रोकने की, प्राथमिकी दर्ज करने की और रजिस्ट्रेशन रद्द करने की पर अक्षेस ने बिल्डरों की मिलीभगत से ऐसा कुछ नहीं किया. (नीचे भी पढ़ें)

अधिसूचित क्षेत्र समिति के अभियंता व विशेष पदाधिकारी जिन पर उच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन करने की जिम्मेदारी थी 11 वर्षों से जिसे इन पदाधिकारियों ने कोई तवज्जो नहीं दी उन पर सरकार को विभागीय जांच करा कर हटाना चाहिए था और भ्रष्टाचार नियंत्रक कानून के तहत एफआईआर दर्ज करना चाहिए था जो सरकार ने नहीं किया. उन्होंने कहा कि अवैध रूप से निर्मित भवनों के आगे अक्षेस को सूचना तख़्त लगाना था जिससे आम लोग समझ पाते और ख़रीदने या किराये पर लेने से बचते पर अक्षेस ने ऐसा कुछ नहीं किया. उन्होंने कहा कि अक्षेस को उच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन कर हलफनामा दायर करना है. वे अक्षेस के हलफनामे का इंतजार कर रहे हैं ताकि अक्षेस के फर्जीवाड़े के खिलाफ वे पिटीशनर की तरफ से हलफनामा या एक आवेदन दायर कर सकें.

Must Read

Related Articles

Floating Button Get News On WhatsApp
Don`t copy text!

Discover more from Sharp Bharat

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading