जमशेदपुर: कोरोना वैश्विक महामारी के कारण बेरोजगारों की फौज खड़ी हो गयी है. जिनके पास रोजगार हैं, भी उन्हें देने के लिए सरकारी संस्थानों के पास पैसे नहीं. सरकारी संस्थाओं के पास भी अपने कर्मचारियों को देने के लिए पैसे नहीं हैं. पैसे हैं भी तो सरकारी बाबुओं और ट्रेजरी की लापरवाही से कर्मचारियों का फंड लैप्स होकर वापस सरकार के पास चला गया. स्थिति ये है कि सरकारी कर्मी भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं. वैसे मामला जमशेदपुर के वित्त रहित शिक्षकों का है. जहां शहर के एक दर्जन से भी ज्यादा वित्त रहित स्कूलों एवं सात कॉलेजों के शिक्षक विभागीय लापरवाही की मार झेल रहे हैं. जिसका नतीजा ये है, कि कोरोना महामारी के दौर में जिले के सभी वित्तरहित शिक्षक भूखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं.
इसके लिए शिक्षक डीईओ यानी जिला शिक्षा पदाधिकारी को दोषी मान रहे हैं. जबकि जिला शिक्षा पदाधिकारी का कहना है, कि ट्रेजरी की गलती के कारण शिक्षकों को वेतन नहीं मिला और पैसा सरकार के खजाने में वापस चला गया. वैसे पड़ोसी जिला सरायकेला और चाईबासा के शिक्षकों को अनुदान मिल चुका है. वहीं जमशेदपुर के वित्त रहित शिक्षकों ने बताया कि डीईओ की लापरवाही के कारण मार्च महीने में उनके लिए आबंटित अनुदान राशि डेढ़ करोड़ वापस हो गया. शिक्षकों ने राज्य सरकार से अविलंब अनुदान राशि जारी किए जाने की मांग की है. साथ ही इन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री से इस नीति को समाप्त किए जाने की मांग की है. वित्तरहित शिक्षा नीति को शिक्षकों ने कोढ़ बताते हुए मुख्यमंत्री से इस नीति में बदलाव किए जाने की मांग इन्होंने की है. फिलहाल वित्त रहित शिक्षक विभागीय अधिकारी, ट्रेजरी और सरकार के बीच फंसे पेंच का दंश झेलने को विवश हैं. अब देखना ये दिलचस्प होगा कि इन शिक्षकों की मांग कब तक पूरी होती है. क्योंकि कोरोना महामारी के इस दौर में सरकार ने पहले ही खजाना खाली होने का ऐलान कर दिया है.