Jamshedpur : अंतर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद की वेब संगोष्ठी में प्रो राजीव कुमार वर्मा ने कहा-मिथिला पर गांधी का प्रभाव गहरा, गांधी को महात्मा बनाने का श्रेय मिथिला को- प्रो. अशोक

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Jamsedpur : अंतर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद द्वारा गांधी जयंती पर ‘महात्मा गांधी- मिथिला आ मैथिली’ विषय पर वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में विषय प्रवेश कराते हुए परिषद के अध्यक्ष डॉ रवीन्द्र कुमार चौधरी ने कहा कि गांधीजी प्रथम बार मिथिला के मुजफ्फरपुर 11 अप्रैल 1917 को आए थे जहां छात्र- शिक्षकों ने उनका भव्य अभिनंदन किया था। तब से लेकर 1934 तक में कई बार वे इस क्षेत्र में आए। दरभंगा महाराज से उनका अच्छा संबंध था। इसी कारण मिथिला और मैथिली पर उनका प्रभाव पड़ा।

अपने उद्घाटन संबोधन में साहित्य अकादमी के मैथिली प्रतिनिधि डॉ अशोक अविचल ने कहा कि मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा बनाने का श्रेय मिथिला को है। 1919 में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा डियर महात्मा जी लिखने से 2 वर्ष पूर्व ही 21 अप्रैल 1917 को छपे मिथिला मिहिर के संपादकीय में सर्वप्रथम महात्मा गांधी शब्द का प्रयोग किया गया है। मैथिली साहित्य पर गांधी के रचनात्मक कार्यक्रमों एवं विचारधारा का गहरा असर पड़ा है।

संगोष्ठी में मुख्य वक्तव्य देते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. राजीव कुमार वर्मा ने कहा कि गांधी की दैहिक उपस्थिति चाहे जहां भी हो उनकी वैचारिक उपस्थिति चमत्कारिक व्यक्तित्व के रूप में देश के कोने कोने में थी। गांधी के नेतृत्व में जो राष्ट्रीय आंदोलन हुआ, वह गांधी के निर्माण का बीज तो दक्षिण अफ्रीका में पड़ा था परंतु उन्हें महात्मा के रूप में चंपारण ने स्थापित किया। मिथिला के दरभंगा महाराज से उनका अच्छा संबंध था । यह इसी से जाना जा सकता है कि दरभंगा महाराज से गांधी जी ने आंदोलन के लिए 60 हजार की मांग की थी तो उन्होंने 6 लाख रु. दिए थे। वेब संगोष्ठी में परिषद के महासचिव पंकज कुमार झा ने स्वागत संबोधन किया तथा अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद के संस्थापक डॉक्टर धनाकर ठाकुर ने धन्यवाद ज्ञापन किया। संगोष्ठी में दिल्ली की डॉ. शेफालिका वर्मा तथा पटना के प्रोफेसर वीरेंद्र झा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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