जमशेदपुर : झारखंड से एनआइए द्वारा पहले झूठे मामले में गिरफ्तार कर जेल में बंद करने और फिर इलाज के अभाव में हिरासत में फादर स्टेन स्वामी की हुई मौत के खिलाफ लोगों में गुस्सा है. बुधवार को ईसाई समुदाय समेत विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोगों ने मोमबत्ती जलाकर एक साथ पांच स्थानों पर मौन प्रदर्शन किया. इस दौरान इन लोगों ने कहा कि पादर स्टेन स्वामी की हत्या की गयी है और मामले को लेकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गयी है. इन लोगों ने विरोध किया. इनका कहना था कि हम भारत के जागरूक नागरिक, फादर स्टेन स्वामी एसजे को दिल की गहराई से सम्मान प्रदान करते हुए उनकी विरासत को आगे बढ़ाने के लिये राष्ट्रीय न्याय दिवस के रूप में एकजुटता दिखाने यहाँ आज दिया जलाकर ज्योति को फैला रहें हैं ताकि हमारे देश के अंधकार रूपी बढ़ती असामानता, हिंसा, अत्याचार, भेदभाव दूर हो जायें और न्याय, स्वतंत्रता, बंधुत्व, मेल मिलाप, समानता स्थापित हो. (नीचे पूरी खबर पढ़ें)
हमारे देश में बढ़ती असमानताओं, हिंसा, अत्याचारों, भेदभाव और बहिष्कार के बीच, “एक मूक दर्शक बनकर नहीं” रहने का संदेश फादर स्टेन स्वामी हमारे लिए छोड़ गए हैं. उन्होंने हमें अपने देश के संविधान की प्रस्तावना के मूल्यों को गाने के लिए प्रेरित किया है, जिसमें न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व को इतनी विपरीत परिस्थितियों में भी “पिंजड़े में बंद पक्षी फिर भी कोरस में इन मंत्रों को गा सकती है.” एक येसुसमाजी के रूप में उन्होंने मेल-मिलाप के प्रेरिताई में बहिष्कृत लोगों के साथ चलने के लिये, जिनकी गरिमा का उल्लंघन किया गया है, स्वयं को समर्पित किया. यहां कहा गया कि फादर स्टेन की मृत्यु एक अंत नहीं है, यह हमारे देश के संविधान में विश्वास की पुष्टि करने एवं जागृति लाने का एक और क्षण है. फादर स्टेन आदिवासी शहीदों और हमारे देश के धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताने-बाने और विविध संस्कृतियों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले उन सभी लोगों की संगति में शामिल हो गये हैं. फादर स्टेन की मृत्यु से एक नई आशा की किरण जगी है, क्योंकि उन्होंने विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों, और राष्ट्रीयताओं को मानव परिवार, सृष्टि और न्याय के मार्ग पर साहसपूर्वक चलने के लिए एकजुट किया है. स्टेन स्वामी आज हाशिए पर पड़े लोगों के लिए न्याय के प्रतीक के रूप में खड़े हैं. (नीचे पूरी खबर पढ़ें)
उनकी मृत्यु के बाद वे एक पंथ व्यक्ति के रूप में कई लोगों के दिलों में जिन्दा हैं. आदिवासियों, दलितों एवं हाशिये के लोगों की आजीवन संगति और अपनी शहादत से उन्होंने हमें एक नया नैतिक जनादेश दिया है कि हम दयालु बनें, बेजुबानों की आवाज बनें और मानवाधिकारों के रक्षक बनकर सत्ता के सामने सच बोलें. इस समय, हम उनके द्वारा किए गये साहसिक कार्यों को गहराई से स्वीकार करते हैं और पुष्टि करते हैं, जो हमें भीमा कोरेगांव मामले में स्टेन और अन्य सभी आरोपियों के लिए न्याय की मांग करने का आग्रह करते हैं. हम केंद्र सरकार से पुरजोर आग्रह करते हैं कि वे मानवाधिकार रक्षकों और जेलों में बंद पड़े विचाराधीन कैदियों को रिहा करे और आगे बढ़कर लोकतंत्र की रक्षा करे. (नीचे पूरी खबर पढ़ें)
इसके साथ-साथ राजद्रोह कानून, गैरकानूनी अत्याचार (रोकथाम) अधिनियम और दमनकारी राज्य कानूनों को निरस्त करे एवं असहमति के नागरिक अधिकार को बहाल करे । इस न्याय दिवस के दिन हम खुद को यह जनादेश देते हैं. ईश्वर की अपार शक्ति पर भरोसा रखते हुए एवं सद्भावना वाले सभी लोगों के साथ मिलकर एक स्वर में रवींद्रनाथ टैगोर के शब्दों को गाते हैं ‘स्वतंत्रता के उस स्वर्ग में, मेरे पिता, मेरे देश को जागने दो.’यह आंदोलन जमशेदपुर के लोयोला स्कूल के आसपास, बेल्डीह चर्च, बारीडीह मर्सी अस्पताल, गोलमुरी सेंट जोसेफ बड़ा गिरजाघर में किया गया.