जमशेदपुर : भारतीय नौसेना के इतिहास का सबसे स्वर्णिम और गरिमामय दिन है 04 दिसम्बर। नौसैनिकों की अद्भुत दक्षता समन्वय और शौर्य का प्रतीक है यह दिवस। इसलिए भारतीय सेना और देश इस दिन को नौसेना दिवस के रूप में मनाता है। आज यह बात अपने संबोधन में कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पूर्व नौसैनिक और संगठन के संस्थापक सदस्य बिमल कुमार ओझा ने कही। पूर्व सैनिक सेवा परिषद जमशेडपुर द्वारा आज नौसेना दिवस का आयोजन गोलमुरी स्थित शहीद स्मृति स्थल पर कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित क्रीड़ा भारती के ज़िला मंत्री चंद्रशेखर ने आने संबोधन में कहा कि 1971 के युद्ध के दौरान भारतीय नौसेना के आरंभिक और प्राहात्मक रवैये के कारण ही विजय की नींव रखी गयी। इसलिये हम सबको यह शौर्यमय दिन सदैव याद रखना चाहिए और तरुणों के बीच प्रचार-प्रसार करना चाहिए, जिससे प्रेरणा मिल सके। (नीचे भी पढ़ें)
कार्यक्रम का उदघाटन सार्जेंट तापस कुमार मजूमदार ने दीप प्रज्ज्वलित और पुष्पांजलि अर्पित और दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इसके बाद विषय प्रवेश सिद्धनाथ सिंह ने कराया। ततपश्चात 1971 के युद्ध में नौसेना की भूमिका पर संबोधन पूर्व नौसैनिक आर पी ठाकुर ने किया। अपने नौसैनिक जीवन के अनुभव को पेटी अफसर संजय सिंह, शैलेश सिंह, अमरेंद्र कुमार, नवेन्दु गांगुली व शशि भूषण सिंह ने सबके सामने साझा किये। इसके वाद भा नौ पो खुकरी के शहीदों को नमन किया गया और गाज़ी पर भारत की जीत की खुशी में लड्डू बांटकर विजय की खुशियां मनाई। संचालन अनिल कुमार सिन्हा और धन्यवाद ज्ञापन कुन्दन सिंह ने किया। इस अवसर पर जसबीर सिंह, रमेश शर्मा, अमरनाथ डोके, निर्मल कुमार, उमेश सिंह, अरबिंद कुमार, योगेश कुमार, गौतम लाल, बासुकिनाथ झा, विजय कुमार, अमरेन्द्र कुमार, नवल किशोर पाठक, संजीव कुमार श्रीवास्तव, विष्णुदेव प्रसाद, धीरज सिंह, नरेश स्वैनपी, शंकर, एलवी सिह, परमहंस यादव, रमेश सिंह, भुवनेश्वर पाण्डेय, विश्वजीत, अमित कुमार, संतोष कुमार सिंह, सुरेन्द्र सिंह, कृष्णमोहन सिंह, विनय यादव, रूपेश राय, पंकज, जितेन्द्र सिंह, राघवेन्द्र कुमार समेत 60 से अधिक पूर्व सैनिक उपस्थित थे।