गालूडीह : नवकुंज धाम मंदिर में चल रही भागवत कथा के तीसरे दिन सोमवार को कालीपद दास अधिकारी व राधारमण महाकुड़ ने देवगुरु वृहस्पति की कथा सुनाई. उन्होंने कहा, देव-दानव युद्ध में विजय प्राप्त करने के कारण इंद्र में त्रिलोक स्वामी होने का अहंकार आ गया था. इसके कारण उन्होंने देवगुरु वृहस्पति का अपमान कर दिया था. इस पर बृहस्पति रुष्ट होकर देव लोक छोड़कर चले गए. राक्षसों ने इसका लाभ उठाते हुए देवताओं पर हमला कर दिया. मदद के लिए देवगण ब्रह्मा के पास पहुंचे एवं उन्होंने वृहस्पति के स्थान पर त्वष्टा ऋषि के पुत्र विश्वरूप को देवगुरु के पद पर आसीन करने को कहा. (नीचे भी पढ़ें)
विश्वरूप ने कार्यवाहक पुरोहित बन कर देवराज इंद्र को नारायण कवच प्रदान किया. जिनके प्रभाव से उन्हें विजय हासिल हुई. इसी विजय के उपलक्ष्य में इंद्र ने एक यज्ञ का आयोजन किया. यज्ञ में आहुति के दौरान विश्वरूप असुरों के लिए भी हविष डालने लगे. यह देख कर क्रोधित इंद्र ने वहीं उनका वध कर दिया. इसी के चलते उन पर ब्रहम हत्या का पाप लगा. वहीं, रोज की तरह सुबह भागवत श्लोक पाठ किया हुआ.