जादूगोड़ा:भूमिज भाषा को प्राथमिक स्तर से लेकर स्नातक स्तर तक होनेवाली परीक्षा संचालन नियावली में संशोधन कर इसे द्वितीय पत्र में शामिल करने को लिए भारतीय आदिवासी भूमिज समाज के महासचिव दिनेश सरदार ने कल्याण मंत्री चंपई सोरेन को आज मंगलवार को पांच सूत्री मांग पत्र सौपा . इसी तरह का पत्र मुख्य मंत्री हेमंत सोरेन को भी सौपी गई है..(नीचे भी पढ़े)
मंत्री चंपई सोरेन को सौपे पत्र में कहा गया है कि झारखंड राज्य में नियोजन नियमावली -2021 में झारखंड कर्मचारी चयन आयोग में भुमिज भाषा को शामिल किया गया था. फिलहाल 13 मार्च 2023 की झारखंड गजट में संशोधित करते हुए झारखंड नियोजन नीति में इस भूमिज भाषा को शामिल नहीं किया गया है जबकि इस भाषा द्वितीय राज्य भाषा का दर्जा प्राप्त है. उन्होंने आगे कहा कि झारखंड की 32 जनजातियों में प्रमुख जनजाति भाषा भूमिज भाषा है. 2011 में इसकी आबादी 2 लाख, 14 हजार 298 थी..(नीचे भी पढ़े)
इस भाषा को पुनः जोड़ने/शामिल करने के लिए अनुरोध पत्र किया है।इसके अतिरिक्त भूमिज भाषा को पहली से आठवीं तक मातृ भाषा भूमिज में पढ़ाई शुरू करने, भूमिज भाषा शिक्षको को बहाली में स्थान देने, इस भाषा का अपना अलग कोड का प्रावधान , भूमिज भाषा को सभी जिलों में अनुसूचित जन जाति जा दर्जा दिया जाय व भूमिज भाषा को आठवी अनुसूची में शामिल करने को लेकर केंद्र सरकार को अनुशंसा पत्र भेजा जाए की मांग की गई है.(नीचे भी पढ़े)
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मंत्री चंपई सोरेन से मिलने गए प्रतिनिधि मंडल में शामिल लोग
चंपई सोरेन से मिलने गए प्रतिनिधि मंडल में भारतीय आदिवासी भूमिज समाज के महासचिव दिनेश सरदार, सचिव मेयालाल सरदार , प्रवक्ता युधिष्ठिर सरदार , भारतीय आदिवासी भूमिज समाज, प्रदेश इकाई के केन्द्रीय सदस्य विमल भूमिज, सर्वेश्वर सरदार ने हिस्सा लिया.