राजन सिंह / चाकुलिया : चाकुलिया वन क्षेत्र में ग्रामीण और पेड़ कटवा गिरोह के कारण वन क्षेत्र वन विहीन होता जा रहा है, जिसका खामियाजा ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। चाकुलिया वन क्षेत्र पहले काफी हरा भरा हुआ करता था और अब कुछ भाग ही जंगल बची है। जंगल वन जीवों का घर है जंगल ही नही रहेंगे तो वन जीव जाएंगे कहां यह बात कब समझेंगे लोग की वनों की हो रही बेधड़क कटाई के कारण वन जीव अपने ही घर से बेघर हो रहे हैं और वे भोजन की तलाश में अब जंगल से बाहर निकलकर गांव की और रूख कर रहे हैं। हाथी वन जीव है और हाथी भी अपने भोजन की तलाश में गांव की और जा रहे हैं। (नीचे भी पढ़ें)
आए दिन देखा जा रहा है कि हाथियों का दल जंगल से बाहर निकलकर गांव में प्रवेश कर घर घर जाकर घर का दरवाजा या कच्ची दिवाल तोड़कर सिर्फ धान और चावल को ही खा रहे हैं। इससे लोगों को समझना होगा कि हाथी आखिर जंगल से गांव की और रूख क्यों कर रहे है,जब तक हम समझेंगे नही हाथियों के समस्या से हम सभी बाहर निकल नही पाएंगे।जरा सोचिए कि क्या 7-8 साल पहले हाथी इस क्षेत्र में आते नही थे।तब भी हाथियों का झुंड इस वन क्षेत्र में आना जाना था और कुछ दिन रहने के उपरांत हाथियों का झुंड यहां से चले भी जाते थे। अब वनों की कटाई सबसे बड़ी समस्या बन गई है, जिस कारण हाथीयों का आतंक दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। (नीचे भी पढ़ें)
चाकुलिया वन क्षेत्र में आए दिन किसी ना किसी गांव के जंगल में ग्रामीण आग लगाकर जंगल के पेड़-पौधों को झुलसा देने के बाद बेधड़क जंगल की कटाई कर रहे हैं इससे जंगल का विनाश हो रहा है। चाकुलिया वन क्षेत्र के मौरबेड़ा गांव से सटे एकाशिया पेड़ के जंगल को ग्रामीण पहले जंगल में आग लगाई और अब जंगल की सुखी लकड़ियों को काट कर ले जा रहे हैं, इससे जंगल का विनाश हो रहा है।इसी तरह अगर हम जंगल का विनाश करते रहे तो आखिर वन्य जीव जाएंगे कहां।वन्य जीव के घर ही नही रहेगा तो वह हमारे घरों की और ही आएंगे। हाथियों के आतंक से बचना है तो सभी को मिलकर जंगल का संरक्षण करना होगा और पहले की तरह ईस क्षेत्र के जंगल को हरा भरा करना होगा, ताकि जंगल वन्य जीवों के लिए अनुकूल रहे तभी हाथियों का गांव की ओर आना बंद हो पाएगा।