मुसाबनी : पूर्वी सिंहभूम के घाटशिला अनुमंडल के मुसाबनी प्रखंड के सुदूरवर्ती और पहाड़ी गांव कालाझरी में पानी के लिये लोगों को हर दिन जद्दोजहद करनी पड़ती है. गांव में एक ही तालाब है वह भी सूख गया है. पानी के लिये एक सिचाई कुआं है, जिससे करीब एक किलो मीटर लंबी पाइप और टुलू पंप से लोग पानी गांव तक लाने का प्रयास करते हैं. सिचाई कुआं गांव से दूर खेत में बना हुआ है, जिससे गांव तक पानी लाने के लिये तीन टुलू पंप लगाये जाते हैं. तब बूंद-बूंद पानी पाइप के माध्यम से गांव पहुंच पाता है. पानी के लिये ग्रामीणों ने कहा कि कुआं भी आने वाले समय में सूख जायेगा. इसके बाद पानी के लिये उन्हें दूसरे गांव की ओर रूख करना पड़ेगा. गांव में एक भी चापाकल नहीं है. गांव में पानी की समस्या वर्षों से बनी हुई है. ग्रामीणों ने कहा कि वे कई बार क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों से मिलकर गांव में चापाकल लगाने की मांग कर चुके हैं, परंतु इस दिशा में अबतक किसी ने भी पहल नहीं की है, जिससे लोगों में रोष है. (नीचे भी पढ़ें)
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में पानी की कमी के कारण गांव में किसी तरह का कोई उत्सव नही होता है. 11 साल बाद गांव के रहने वाले बहादुर बानरा ने पानी के टैंकर व्यवस्था करने के बाद श्राद्ध कार्यक्रम संपन्न किया है. पानी टैंकर की व्यवस्था झामुमो के केन्द्रीय सदस्य कान्हू समांत के माध्यम से की गयी, जिससे 11 साल के बाद गांव में श्राद्ध का कार्यकर्म संपन्न हो पाया. गांव में पानी की समस्या पर कान्हू समांत ने कहा कि घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन को समस्या से अवगत करा कर जल्द ही गांव में चापाकल, सोलर जलमीनार की व्यवस्था करायी जायेगी. 11 साल बाद गांव में श्राद्ध कार्यक्रम के बारे में बताया गया कि आदिवासी समाज में मकर पर्व के बाद और हो समाज में माघे पर्व के बाद ही शादी या श्राद्ध का कार्यक्रम किया जाता है. बाकी समय पानी की किल्लत रहती है, जिससे गांव में किसी तरह का कोई शादी या श्राद्ध नही हो पाया था. आज पानी टैंकर व्यवस्था होने पर गांव में 11 साल बाद श्राद्ध का कार्यक्रम संपन्न किया गया है. कालाझरी गांव जहां पर 10 से 15 परिवार है. इस टोला में एक भी चापाकल नही है. खेत में बने सिचाई कुआं से ही ग्रामीण पानी लेकर आते हैं. वर्षों पुराना एक चापाकल था, लेकिन विभाग की ओर से उसे मृत घोषित कर दिया गया है. गांव में एक तालाब है, तालाब की गहरायी भी 15 से 20 फीट है, लेकिन तालाब में इन दिनों गर्मी के समय एक बूंद भी पानी नहीं है. ग्रामीण बताते हैं कि तालाब में मई से लेकर जनवरी तक पानी रहता है, लेकिन इसके बाद तालाब सूख जाता है. आने वाली बरसात के समय फिर से इस तालाब में पानी होगा, जिससे ग्रामीणों को कुछ राहत मिलेगी. लेकिन जनवरी से लेकर मई तक पानी के लिये कालाझरी गांव के ग्रामीणों को जद्दोजहद करनी पड़ती है.