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jamshedpur-rural-नक्सल मुक्त होने के बाद घाघरा गांव का हुआ विकास, पानी, सड़क और बिजली से जगमगा रहा गांव

राशिफल


चाकुलियाः पश्चिम बंगाल सीमा से सटे चाकुलिया प्रखंड के माटियाबांधी पंचायत के नक्सल प्रभावित घाघरा गांव नक्सल मुक्त होने के बाद गांव का विकास हुआ है. गांव में बिजली, सड़क, पानी और पीएम आवास का निर्माण हो पाया है. पूर्व में इस गांव के ग्रामीण विकास से कोसों दूर थे. गांव में जाने तक के लिए एक अदद सड़क तक नहीं थी. ग्रामीण 2 किमी पहाड़ी रास्ता तय कर गांव आना-जाना करते थे. वही इस गांव में पीने के लिए पानी भी नहीं था, ग्रामीण घाघ झरना से पानी ढोकर लाते थे.(नीचे भी पढ़े)

गर्मी के दिनों में गांव के ग्रामीणों को पानी के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता था. ग्रामीण 5 से 7 फीट नीचे कुआं खोदकर पीने के लिए पानी लाते थे. गांव में बिजली भी नहीं पहुंची थी. गांव के अधिकांश घर झोपड़ी नुमा था. नक्सल मुक्त गांव होने के पश्चात जनप्रतिनिधियों का आना जाना शुरू हुआ और पूर्व विधायक सह वर्तमान सांसद विद्युत वरण महतो के प्रयास से गंगा गांव से पश्चिम बंगाल सीमा से सटे पहाड़ों पर बसा गांव पाकुड़ियाशोल गांव तक पक्की सड़क का निर्माण किया गया है. (नीचे भी पढ़े)

सड़क बनने के पश्चात गांव की सूरत और तस्वीर ही बदल गई है. वहीं पंचायती राज होने के बाद गांव की ही बहू सुबिता सिंह के मुखिया बनने के बाद गांव में मुखिया फंड से दो सोलर बोरिंग और पीएचईडी विभाग से दो सोलर बोरिंग का निर्माण किया गया है और लगभग 80 परिवार का पीएम आवास का निर्माण हुआ है. अब गांव में रात होते ही अंधेरा नही रहता है, बिजली पहुंचने से गांव दूधिया रोशनी में जगमगाता है. गांव में सर्वप्रथम पूर्व विधायक निधि से एक डीप बोरिंग का निर्माण किया गया था, इस बोरिंग से ही गांव के 120 परिवार पीने के लिए पानी लेते थे. गांव की बहू की मुखिया बनने के पश्चात गांव में 3 सोलर बोरिंग बने हैं अब ग्रामीण पीने के लिए स्वच्छ पानी बोरिंग से ही लेते है. (नीचे भी पढ़े)

वही क्षेत्र के जिला परिषद जगन्नाथ महतो ने भी अपने फंड से गांव में पीसीसी सड़क का निर्माण कराया है. गांव का विकास इस कदर हुआ है कि यह गांव शहर को भी मात दे रहा है. गांव में सड़क बनने से अब गांव तक वाहनें भी चलने लगी है. ग्रामीणों को अब गांव आने जाने में अब किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती है. गांव में पहले प्रशासन और जनप्रतिनिधि जाने से कतराते थे. अब गांव में बेखौफ प्रशासनिक पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि पहुंचते हैं. जनप्रतिनिधि और पदाधिकारियों के गांव आने जाने के कारण ग्रामीणों को उनका अधिकार मिल रहा है और गांव का भी विकास हो रहा है.

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