गालूडीह : गालूडीह थाना क्षेत्र की जोड़िसा पंचायत के बागालगोड़ा में सौर ऊर्जा चालित डीप बोरिंग निर्माण में सोलर प्लेट गायब हैं. वृंदावनपुर गांव के एक आरटीआइ एक्टिविस्ट मार्शल मुर्मू ने इसको उजागर किया है. आरटीआइ से मिली सूचना में जो सूची दी गयी है, उसके मुताबिक 15वें वित्त आयोग के तहत बागालगोड़ा गांव में कारना मुर्मू की जमीन पर घाटशिला की देव इंटरप्राइजेज के द्वारा 3 लाख 12 हजार रुपये की लागत से सौर ऊर्जा चालित सिंचाई डीप बोरिंग का निर्माण कराया गया था. पूर्व जिला परिषद् सदस्य तुलसीबाला मुर्मू के कार्यकाल में उक्त काम हुआ था. (नीचे भी पढ़ें)
बिना ग्रामसभा किये कराई गई डीप बोरिंग
ग्राम प्रधान लालमोहन सिंह ने बताया कि सिंचाई डीप बोरिंग सरकारी है या निजी, यह बात आज तक ग्रामीणों को नहीं पता. उन्होंने बताया कि बिना कोई ग्रामसभा किये ही डीप बोरिंग का निर्माण कराया गया है. यहां तक कि कार्यस्थल पर कोई बोर्ड भी नहीं लगा कि किस योजना के तहत यह निर्माण कराया गया, किसने निर्माण कराया गया, ग्रामीणों को कुछ नहीं पता. ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि जिला परिषद सदस्य ने अपने ही रिश्तेदार कारना मुर्मू की जमीन पर डीप बोरिंग कराई है.(नीचे भी पढ़ें)
निजी बिजली कनेक्शन से चल रहा है डीप बोरिंग का मोटर
ग्रामीणों ने बताया कि तीन साल से गांव के ही एक व्यक्ति के निजी बिजली कनेक्शन से डीप बोरिंग का मोटर चल रहा है, जबकि आरटीआइ रिपोर्ट में डीप बोरिंग में सौर ऊर्जा चालित का ज़िक्र किया गया है. उन्होंने बताया कि ग्रामीणों को अगर पता रहता कि उक्त डीप बोरिंग सरकारी है तो ग्रामीण खेती के लिए पानी का उपयोग करते, लेकिन ग्रामीणों को आज तक नहीं पता कि डीप बोरिंग सरकारी है या निजी.(नीचे भी पढ़ें)
ग्रामीणों ने सवाल उठाया है कि बिना कोई ग्रामसभा किये और बिना सोलर प्लेट लगाये निर्माण कार्य को पूर्ण कैसे दिखाया गया ? वहीं मार्शल मुर्मू ने पूरे मामले की जांच की मांग की है. विदित हो कि कुछ दिन पूर्व आरटीआइ एक्टिविस्ट मार्शल मुर्मू ने पंचायत में हुए डीप बोरिंग निर्माण की जानकारी आरटीआइ के तहत मांगी थी. मौके पर ग्रामप्रधान लालमोहन सिंह, लक्ष्मण बेसरा, श्यामल सिंह, रोहिणी महतो, भुवन सिंह आदि उपस्थित थे.(नीचे भी पढ़ें)
वहीं पूर्व जिला पार्षद दुर्गा चरण मुर्मू ने बताया कि गांव में सौर ऊर्जा चालित पंप ही अनुशंसित था, लेकिन विभाग ने एस्टीमेट को बदलकर उसे बिजली चालित में परिवर्तित कर दिया गया. सौर ऊर्जा का प्रावधान नहीं था, सिंचाई डीप बोरिंग में विभाग की तरफ से बिजली कनेक्शन नहीं दिया गया है. ग्रामीण कभी-कभी सिंचाई के लिए अपने निजी कनेक्शन से डीप बोरिंग को चलाते हैं.