चाकुलिया: झारखंड सरकार की गांव के विकास करने का दावा आज भी खोखला साबित हो रहा है. राज्य गठन होने के वर्षो बाद भी चाकुलिया का कदमडीहा गांव विकास से कोसों दूर है. वही क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के उपेक्षा के कारण गांव में 20 परिवार के लोग आज भी टापू नुमा जीवन बसर करने पर मजबूर हैं. गांव के रामचन्द्र हांसदा, कारू हांसदा, अम्पा हांसदा, मुकुंद सोरेन, सुबदा हांसदा ने बताया कि कदमडीहा गांव सिंदरा खाल के उसपार बसा गांव होने के कारण ग्रामीण आज भी अन्य गांव के उपेक्षा विकास से दुर है.(नीचे भी पढ़े)
कहां कि गांव के ग्रामीण खाल पार करने के लिए हर वर्ष श्रमदान कर खाल पर बांस का पुल निर्माण करते हैं और इसी पुल से ग्रामीण गांव आना जाना करते हैं. ग्रामीणों ने कहा कि कई बार ग्रामीण क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से मिलकर खाल पर पुल निर्माण कराने की मांग की है परंतु अब तक किसी ने भी पहल नहीं किया है जिस कारण आज भी ग्रामीण टापु नुमा जीवन बसर करने पर बाध्य हैं. कहा कि अलग राज्य बनने के बाद भी कदमडीहा गांव का विकास नही हुआ और ना ही गांव में परिवर्तन हुआ है वर्षा से ग्रामीण एक ही तरह से जीवन बसर कर रहे हैं. (नीचे भी पढ़े)
कदमडीहा गांव में अब तक नहीं पहुंचा है कोई सांसद या विधायक
कदमडीहा गांव के ग्रामीणों ने बताया कि राज्य गठन होने के वर्षो बित गये. अबतक कई नेता सांसद बने और कई विधायक बने परंतु अब तक किसी भी सांसद या विधायक का पाव इस गांव में नहीं पड़ा है. कहा कि किसी ने भी कदमडीहा गांव आकर ग्रामीणों की सुधि अब तक नहीं ली है. ग्रामीणों ने कहा कि जनप्रतिनिधियों के उपेक्षा के कारण गांव के ग्रामीण विकास से दूर है और आज भी टापु नुमा जीवन जीने पर विवश है. (नीचे भी पढ़े)
कहा कि गांव से सटे अन्य गांव में कई बार सांसद और विधायक पहुंच चुके हैं परंतु कदमडीहा गांव की और अब तक जनप्रतिनिधियों का ध्यान नहीं आया है. कहां कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकार के निर्देशानुसार स्थानीय पदाधिकारी और पंचायत के जनप्रतिनिधियों द्वारा पंचायत के सभी गांव में शौचालय का निर्माण किया गया है परंतु अब तक इस गांव में एक भी शौचालय का निर्माण नहीं किया गया है आज भी इस गांव के लोग खुले में शौच जाने के लिए बाध्य हैं.
ग्रामीण बीमार पड़ते हैं तो खटिया पर लेटाकर लाते है सड़क तक
कदमडीहा गांव में जाने के लिए सड़क नहीं होने के कारण गांव के ग्रामीण सिंदरा खाल पर बांस का पुल निर्माण कर गांव आना-जाना करते है. गांव के ग्रामीणों ने कहा कि बरसात के दिनों में अगर कोई ग्रामीण बीमार पड़ जाए तो उसे अस्पताल पहुंचाने के लिए ग्रामीण गांव से खाट पर लेटाकर बांस पुल पार करते हैं और सड़क तक पहुंचने के बाद एंबुलेंस या अन्य वाहन पर मरीज को लेकर अस्पताल पहुंचाते हैं. ग्रामीणों ने कहा कि बरसात के दिनों में खाल में पानी भर जाने के कारण ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.