गालूडीह : गालूडीह रंकणी मंदिर परिसर में 30 मार्च को झारखंड के प्रसिद्ध कवि और लेखक सुनील कुमार दे द्वारा लिखित “युगपुरुष विनय दास बाबाजी” का विमोचन रामनवमी के शुभ अवसर पर भव्य समारोह में की गयी थी. लेखक सुनील कुमार दे ने बताया कि पुस्तक बांग्ला में लिखी है जो जल्द ही भक्तजनों के अनुरोध पर हिंदी में भी रूपांतरण किया जाएगा. पुस्तक श्री दे ने विनय दास बाबाजी के भक्तजनों तथा माताजी आश्रम हाता के भक्त शिल्पी कमल कांति घोष की प्रेरणा से लिखी गयी है. उन्होंने बताया कि उनका यह 33वां पुस्तक हैं. (नीचे भी पढ़ें)
पुस्तक की छपाई और कवर पेज बहुत ही आकर्षक है. पुस्तक में कुछ रंगीन पेज भी दिया गया है, जिससे पुस्तक का आकर्षण बढ़ गया है. पुस्तक से बाबाजी की महान जीवनी के बारे में भक्तजनो और पाठकों को जानकारी मिलेगी. सुनील कुमार दे कि यह इतिहासिक पुस्तक लोग काफी पसंद कर रहे हैं और यह महान कार्ज्य करने के लिए लेखक को धन्यवाद और बधाई भी दे रहे हैं. बाबाजी के विषय में लेखक ने कहा कि बिनय दास बाबाजी केवल एक साधु, संत और धर्म गुरु ही नहीं बल्कि एक समाज सुधारक, धर्म विप्लबी और युग पुरूष भी है. (नीचे भी पढ़ें)
उन्होंने विगत 25 सितंबर 2022 को “कापड़ गादी घाटेर रंकणी मां” नामक पुस्तक पाठकों को उपहार दिया है. उक्त पुस्तक को लोगों ने काफी पसंद किया. वहीं, पुस्तक पढ़कर भक्तजनों ने बाबाजी के जीवनी पर पुस्तक लिखने के लिए लेखक को अनुरोध किया था. लेखक सुनील कुमार दे ने बाबाजी से अनुमति लेकर “युग पुरुष विनय दास बाबाजी” पुस्तक तीन महीने के अंदर लिखा. पुस्तक में बाबाजी की संक्षिप्त जीवनी, बाबाजी का कर्म कांड यथा, गालूडीह रंकणी मंदिर का पुनरुद्धार का वर्णन, खड़िया कॉलोनी अमृतवाणी सत्संग और नव कुंज मंदिर का वर्णन, सिधेश्वर शिव मंदिर का वर्णन तथा बाबाजी का अन्य क्रियाकलापों का भी वर्णन किया है. (नीचे भी पढ़ें)
इसके अलावे पुस्तक में बाबाजी के कुछ अलौकिक कहानी और वाणी का भी जिक्र किया गया है. पुस्तक में भूमिका पूर्व जिला परिषद सह साहित्यकार करुणामय मंडल ने लिखा है. वहीं, शिक्षाविद रघुनंदन बनर्जी, भक्त शिल्पी कमल कांति घोष, रामगढ़ आश्रम हाता के अध्यक्ष सुधांशु शेखर मिश्र, शिक्षाविद शंकर चंद्र गोप, शिक्षिका बीथिका मंडल, समाजसेवी उज्वल मंडल, माताजी आश्रम के कोषाध्यक्ष विश्वामित्र खंडायत, भक्त अमल बिस्वास, भक्त तपन मंडल, विद्युत पाल, चंदना पाल, भास्कर पात्र, अशोक कुमार नायक, डॉक्टर बिकाश चंद्र भकत, मनोज कुमार सिंह, मनीराम टुडू ने लेखक और बाबाजी के बारे में महत्वपूर्ण विचार लिखे है.