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Jamshedpur-rural : कल चाकुलिया गौशाला आयेंगी राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, समाजसेवी सह गौसेवक स्व पुरुषोत्तमदास झुनझुनवाला की प्रतिमा का होगा अनावरण, तैयारी पूरी

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चाकुलिया : चाकुलिया निवासी समाजसेवी और गौ सेवक स्व पुरूषोत्तमदास झुनझुनवाला की प्रतिमा का अनावरण 31 जनवरी को राज्य की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू करेंगी. वहीं उनकी जीवनी पर लिखी गई पुस्तक का भी वह विमोचन करेंगी. प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम को लेकर चाकुलिया गौशाला कमेटी द्वारा सारी तैयारियां लगभग पूरी कर ली गयी हैं. कोरोना को देखते हुए सरकारी पदाधिकारियों के दिशा-निर्देशानुसार कमेटी द्वारा तैयारी की गयी है. स्व पुरुषोत्तमदास झुनझुनवाला ने समाज सेवा कार्य और गौसेवक के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी. (नीचे भी पढ़ें)

उनकी गौसेवा और गौशाला के विकास से चाकुलिया को एक अलग पहचान मिली है. वर्ष 1998 से 2018 तक लगातार कलकत्ता पिंजरापोल सोसाइटी द्वारा संचालित गौशाला के वह अध्यक्ष थे. उनके नेतृत्व में गौशाला का चहुंमुखी विकास हुआ. उन्होंने अपनी सोच और लगन से चाकुलिया गौशाला को एक अलग पहचान दी. उनके कार्यकाल में ही गौशाला परिसर में गौमूत्र से फिनाइल, गोबर से केंचुआ खाद, गोबर गैस, मच्छर भगाने की मौर्टिन का निर्माण, पशुओं के लिए चारागाह (खेती कार्य) समेत नई तकनीकी के तहत कई कार्य शुरू किया गया. उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र के किसानों को पशुपालन और उसके लाभ की जानकारी देकर पशुपालन के प्रति लोगों को जागरूक किया गया. स्व झुनझुनवाला के प्रयास के कारण ही चाकुलिया गौशाला की एक अलग पहचान बनी. (नीचे भी पढ़ें)

उन्होंने शुरू से ही समाज के विकास और गौ संरक्षण के प्रति अपने जीवन को समर्पित कर दिया. उन्होंने 14 वर्ष की आयु में ही जमशेदपुर के जुगसलाई में जगतबंधु पुस्तकालय की स्थापना की. चाकुलिया में 1946 में आजाद हिन्द पुस्ताकालय की स्थापना की. 1968 में चाकुलिया में इन्द्रधनुष संस्था का गठन किया. स्व झुनझुनवाला 8 वर्ष तक मुखिया रहे. उसके पश्चात वे अविभाजित बिहार के समय विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने. 1992 में क्षेत्र में हिन्दू जागरण का कार्य किया. 1992 में ही भारतीय गौवंश रक्षण संवर्धन परिषद के प्रथम अध्यक्ष बने. वर्ष 2005 में झारखंड गौवंश पशु हत्या प्रतिषेध अधिनियम बनाये. 2006 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने उन्हें प्रथम गौ सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया. स्व झुनझुनवाला वृद्धावस्था में भी गौ सेवा कार्य में निरंतर जुटे रहे और अपने जीवन के अंतिम समय तक गौसेवा कार्य कर लोगों के समक्ष एक आयाम स्थापित किया.

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