जमशेदपुर : पूर्व नगर पंचायत उपाध्यक्ष सह भाजपा नेता मनोज चौधरी सोमवार को सदर अस्पताल ओपीडी के मरीजों की शिकायत पर सदर अस्पताल पहुंचे. वहां की कुव्यवस्था देख वे काफी नाराज हुए. वहां मरीज ओपीडी में डॉक्टर को दिखाने के लिए लंबी लाइन में 2 घंटे से खड़े डॉक्टर का इंतजार कर रहे थे. मरीजों के साथ उनके परिजन भी चिलचिलाती धूप में दूर-दूर से आये थे, लेकिन चिकित्सक दूसरे कामों में व्यस्त रहने के कारण उनका इलाज नहीं कर रहे थे. श्री चौधरी ने वहां तत्काल मरीजों को देखने की व्यवस्था कराई. श्री चौधरी ने कहा कि सदर अस्पताल केवल रेफरल अस्पताल की भूमिका निभा रहा है. अधिकतर मरीजों को खानापूर्ति कर रेफर कर दिया जाता है. अब तो ओपीडी एक के मरीजों को भी कोई सुविधा नहीं मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है. (नीचे भी पढ़ें)
सदर अस्पताल को भले ही तकरीबन 20 वर्ष पूर्व जिला अस्पताल का दर्जा मिल गया हो, लेकिन सुविधा के नाम पर अब भी यहां अनुमंडल से ज्यादा कुछ भी प्राप्त नहीं है. सदर अस्पताल में कहने को तो बहुत सारी सुविधाएं मौजूद हैं, लेकिन हकीकत इससे परे है. अस्पताल में न सिर्फ चिकित्सकों की कमी है, बल्कि स्वास्थ्यकर्मियों व अन्य उपयोगी सामानों की भी घोर कमी होने के कारण सदर अस्पताल किसी भी मायने में मानक पर खरा नहीं उतर पाता है. वर्तमान में छोटी-छोटी घटनाओं में जख्मी लोगों को भी अस्पताल प्रबंधन अपना पल्ला झाड़ते हुए रेफर कर देता है. यहां तक कि अधिकांश प्रसूताओं को भी प्रसव के लिए निजी अस्पतालों का रास्ता दिखा दिया जाता है. पिछले वर्ष उद्घाटित 6 बेड का आइसीयू सदर अस्पताल के बगल में मुंह चिढ़ा रहा है. ऐसे ही जिले में अब तक बर्न यूनिट भी नहीं बन पाने के कारण आग से जले मरीजों के इलाज की जिले में समुचित व्यवस्था नहीं है.(नीचे भी पढ़ें)
सबसे बड़ी कमी सदर अस्पताल में एंबुलेंस की है. सुविधा विहीन सदर अस्पताल से रोजाना दर्जनों मरीज बेहतर इलाज के लिए बाहर रेफर किये जाते हैं, लेकिन उन्हें दूसरे अस्पतालों में पहुंचाने के लिए एंबुलेंस की बेहतर व्यवस्था नहीं. सिविल सर्जन भी इस मुद्दे पर बात करने पर कोई ठोस जवाब नहीं दे पाते हैं. सदर अस्पताल उपाधीक्षक का तो कोई अता-पता नहीं है. श्री चौधरी ने कहा कि सदर अस्पताल की अगर ऐसी ही हालत बनी रही तो जल्द ही इसके लिए आंदोलन शुरू किया जायेगा.