जमशेदपुर : झारखंड की आंगनबाड़ी सेविका एवं सहियाएं एक बार फिर से आंदोलित हैं. आपको बता दें कि झारखंड की आंगनबाड़ी सेविका और सहियाएं पिछली सरकार में भी वेतन विसंगति, पीएफ, ग्रेजुएटी, मेडिकल, अवकाश और नियमितीकरण जैसी मांगों को लेकर आंदोलन कर चुकी हैं, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा है. वैसे वर्तमान सरकार ने चुनावी सभाओं में आंगनबाड़ी सेविकाओं की समस्या का समाधान करने का भरोसा दिलाया था, लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहियाओं की मांगों पर कोई विचार नहीं किया गया है. इसको लेकर आंगनबाड़ी सेविकाएं फिर से आंदोलित हैं. सोमवार को इनका एक प्रतिनिधिमंडल पूर्वी सिंहभूम जिला मुख्यालय पहुंचा, जहां प्रधानमंत्री के नाम एक मांग पत्र सौंपा. (नीचे भी पढ़ें)
मांग पत्र के आधार पर इन्होंने खुद को केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का सबसे सशक्त माध्यम बताया और कहा इन्हीं की वजह से केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएं समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचती है, लेकिन आज तक आंगनबाड़ी सेविकाएं और सहियाएं अपने हक और अधिकार से वंचित है. इन्होंने प्रधानमंत्री के नाम 5 सूत्री मांग पत्र जिले के उपायुक्त के माध्यम से सौंपा है. इसके माध्यम से इन्होंने आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहियाओ को सरकारी कर्मचारी घोषित किए जाने की मांग की. साथ ही सेविकाओं का वेतन 18000 और सहियाओं का वेतन 9000 किए जाने की मांग की. वहीं इन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को प्राथमिक विद्यालय का दर्जा देते हुए वहां काम कर रहे सेविकाओं को पूर्व प्राइमरी टीचर और सेविकाओं को पूर्व प्राइमरी सह टीचर की मान्यता दिए जाने की मांग की. इन्होंने आंगनबाड़ी कर्मचारियों के लिए पीएफ, ग्रेजुएटी, अवकाश और मेडिकल की सुविधा बहाल किए जाने की भी मांग की है. इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों के तर्ज पर सीएल, ईएल, मेडिकल, अवकाश और अन्य पर्व त्योहारों पर मिलने वाले अवकाश का लाभ भी दिए जाने की मांग की.