जमशेदपुर : आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से जमशेदपुर के सोनारी में तीन दिवसीय योग साधना शिविर एवं सेमिनार रविवार को संपन्न हो गया. 27 से 29 जनवरी तक चले इस योग साधना शिविर एवं सेमिनार में आचार्य वासुदेवानंद अवधूत एवं आचार्य कृष्णप्रसूनानंद अवधूत प्रशिक्षक के रूप में शामिल हुए. कार्यक्रम की शुरुआत प्रभात संगीत, कीर्तन व सामूहिक साधना के साथ हुई. (नीचे भी पढ़ें)
आचार्य बासुदेवानन्द अवधूत ने गुरु शब्द को बहुत पुराना व वैदिक शब्द बताते हुए कहा कि इसका अर्थ अंधेरे को दूर करने वाला. अब यह अभिव्यक्ति वह जो अंधकार को दूर करता है का प्रयोग अक्सर गहरी समझ के बिना किया जाता है. यह अंधकार वास्तव में न केवल मानसिक स्तर या आध्यात्मिक स्तर का है बल्कि मानव अस्तित्व के सभी स्तरों का है. ऐसे में एक गुरु को अनिवार्य रूप से तीनों स्तरों का अंधकार दूर करनेवाला होना होगा. (नीचे भी पढ़ें)
उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक स्तर पर वही गुरु हो सकता है जो मानवता को उच्च आध्यात्मिक स्तर तक उठा सकता हो, जो मानवता को आध्यात्मिकता से आलोकित कर सकता हो. अर्थात् केवल महाकाल में ही गुरु बनने की अपेक्षित योग्यता है, बाकी लोग गुरु नहीं हो सकते. किसी को साधना के बारे में ज्ञान होना चाहिए, न कि केवल शास्त्रों का संपूर्ण ज्ञान. और पूरी तरह से शास्त्रीय ज्ञान प्राप्त करने के लिए किसी को उतनी ही महत्वपूर्ण भाषाओं का ज्ञान होना चाहिए, जितनी इस उद्देश्य के लिए आवश्यक है.