Jamshedpur : जिले के उपायुक्त सूरज कुमार और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता तैयारी को लेकर लगातार गंभीर मीटिंग करते हैं, फिर भी पूरा सरकारी तंत्र फेल होता नजर आ रहा है। स्वर्गवासी अनिता सिन्हा जो कि डीसी ऑफिस में कार्यरत थीं, जब उनकी अस्पताल के द्वार पर सांस फूलने से मौत हो गयी, तो आम जन की हालत का अंदाजा सहज की लगाया जा सकता है। इससे यही पता चलता है कि शहर के ज्यादातर अस्पताल अनौपचारिक तरीके से बंद पड़े हैं। यह बात ‘युवा हल्ला बोल’ संगठन के ऋषभ रंजन ने कही. उन्होंने कहा कि एक खुला राज है कि शहर के अस्पताल आपको तब ही एडमिट कर रहे हैं, जब आप कहीं से पैरवी नहीं लगा लेते, वरना वो अनौपचारिक तरीके से इलाज करने से मना कर रहे हैं।
संगठन की ओर से कहा गया कि टेस्टिंग आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन टेस्टिंग सेंटर का हाल और रिपोर्ट देने तक की प्रक्रिया बहुत ढीली है। मोतीलाल नेहरू पब्लिक स्कूल के टेस्टिंग सेंटर में सरेआम प्रशासन खुद सोशल डिस्टनसिंग का उल्लंघन करता नज़र आया है। सीसीटीवी कैमरे से पुलिस प्रशासन की ये कमी देखी जा सकती है। इतना ही नहीं टेस्ट हो जाने के बाद लिखित तौर पर कोई भी रिपोर्ट नहीं दी जा रही है। लोगों को खुद जाकर अपनी रिपोर्ट के बारे पूछना पड़ रहा है, जिसका जवाब स्वास्थ्यकर्मी मुंहजुबानी दे रहे हैं। जिला प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोरोना रिपोर्ट लिखित तौर पर हर संबंधित व्यक्ति को उपलब्ध कराया जा सके।
ऋषभ रंजन ने कहा कि इलाज के अभाव में जिनकी मौत हुई है उन परिवारों के लिए ‘युवा हल्ला बोल’ एक लाख रुपये मुआवजे की मांग करता है। भारतीय जन मोर्चा की तरफ से अभियान संचालक साकेत सिंह उज्जैन का कहना है कि ऐसे वक्त में हुई मौत की जिम्मेवारी परोक्ष रूप से सरकार और जिला प्रशासन की भी है, जिसको लेकर सभी परिवारों को मुआवजा दिया जाना चाहिए। युवा हल्ला बोल के ‘स्वास्थ सिंहभूम संकल्प’ को भारतीय जन मोर्चा के मनोज सिंह उज्जैन और जमशेदपुर के पूर्व सांसद और राज्य आप के मुखिया डॉ अजय कुमार ने भी खुलकर समर्थन किया है।