जमशेदपुर : जमशेदपुर से सटे पोटका प्रखण्ड के नारदा पंचायत के कुंदरूकोचा गांव की महिला किसान बिजोला सरदार आसपास के क्षेत्र के किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बनकर उभरी हैं. वर्षों से धान और सब्जी की परम्परागत खेती करते आ रही है बिजोला सरदार ने पिछले साल झारखण्ड सरकार की अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की ईकाई झारखण्ड ट्राईबल डेवलपमेंट सोसायटी से जुड़कर और सहयोग प्राप्त कर 70 डिसमिल खाली पड़े बंजर जमीन पर खेती शुरू किया जिससे उन्हें अपने परिवार के लिए अतिरिक्त आय के साधन के साथ-साथ क्षेत्र में अलग पहचान दिया है. बिजोला सरदार को तिल की खेती के बारे में जानकारी नहीं होने के कारण डर था कि फसल होगी भी या नहीं, इससे कितना फायदा होगा. लेकिन पहले साल की खेती से ही उन्हें लगभग 40 हजार रुपया आमदनी हुई. प्रभावित होकर खरीफ मौसम में 5 एकड जमीन में तिल की खेती कर रही है, जिसमें एक एकड़ जमीन उनका निजी है जबकि चार एकड जमीन उन्होने लीज पर लिया है. झारखण्ड ट्राईबल डेवलपमेंट सोसायटी के डीपीएम रूस्तम अंसारी ने बताया कि पिछले वर्ष खरीफ के मौसम में कुछ गांवों में इसका प्रयोग किया गया था. सर्वप्रथम किसानों को यह विश्वास ही नहीं हुआ कि खाली पड़े बंजर जमीन में भी खेती हो सकती है. इसके लिये किसानो को जेटीडीएस की ओर से तकनीकि जानकारी दी गई तथा कुछ किसानों को बीज भी उपलब्ध कराया गया. कई किसानों को फिल्ड विजिट पर ले जाकर तिल की खेती होते भी दिखाया गया, इसका परिणाम यह निकला की आज डुमरिया और पोटका प्रखण्ड में कुल 14 पंचायत के 69 गांवों में लगभग 385 किसान तिल की खेती कर रहे है, अनुमान है कि आने वाले समय में इसका और विस्तार होगा. अब किसान वैकिल्पक आय के साधन की ओर ध्यान दे रहे है. उन्होंने बताया कि खाली पड़े बंजर जमीन मे तिल की खेती की जा सकती है, जो लगभग 60 से 70 दिन मे तैयार हो जाती है. बाजार में भी तिल की काफी मांग है तथा कम सिंचाई या अल्प बारिश में भी इसकी अच्छी उपज की जा सकती है.