जमशेदपुर : जमशेदपुर को कोरोना काल में आत्मनिर्भर बनाने में टाटा स्टील द्वारा संचालित टाटा मुख्य अस्पताल (टीएमएच) ने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. इस कड़ी में टीएमएच की भूमिका की हर ओर सराहना हुई है. इसके पीछे अगर बेहतर प्रबंधन की कमान थी तो टाटा स्टील के मेडिकल सर्विसेज के जीएम डॉ सुधीर राय की जबकि पहले से ही कोरोना के लिए योद्धा के तौर पर लड़ाई लड़ रहे पूर्व जीएम और वर्तमान में सलाहकार डॉ राजन चौधरी ने कड़ी मेहनत की. इन दोनों ने अपने अनुभव को टाटा स्टील के इन हाउस मैगजिन तालमेल से साझा की, जिसको http://www.sharpbharat.com हुबहू छाप रहा है. इसके साथ ही इस मैगजिन में टाटा स्टील मेडिकल सर्विसेज के जीएम की वह पेंटिंग भी जारी की गयी है, जो पेंटिंग कर्मचारियों को काफी पसंद आयी. वे एक योग्य चिकित्सक और एक्स आर्मी ऑफिसर के साथ-साथ अच्छे पेंटर भी है. (नीचे पढ़े क्या कह रहे जीएम डॉ सुधीर राय.)
डॉ सुधीर राय, जनरल मैनेजर मेडिकल सर्विसेज से महामारी एवं अन्य विषयों पर हुई बातचीत के मुख्य अंश निम्न हैः
सवाल : कोविड-19 के दौरान आपका अनुभवः
डॉ रायः टाटा मेन हॉस्पीटल की कोविड-19 यात्रा निरंतर उन्नत हो रही है. पहली लहर में, जानकारी कम थी और उपचार के नए-नए तरीके विकसित हो रहे थे. तमाम मंजूरियों के बाद आरटीपीसीआर टेस्ट शुरू करना और प्रतिदिन 1,000 से अधिक टेस्ट करना टीएमएच की एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी. अब तक 1.15 लाख से अधिक एनएएटी और 1.07 लाख आरएटी टेस्ट किया जा चुका है. पहली लहर में इस सफर का 15 बेड से 600 बेड तक पहुंचना एक उल्लेखनीय उपलब्धि थी. लगभग 7,000 कोविड-19 रोगियों की चिकित्सा की गई है. आईटी सक्षमता और उसका लाभ उठाना प्रभावशाली था. .कम्यूनिकेशन हेल्पडेस्क से रोगी की रियल-टाइम जानकारी मिली. दवाओं की होम डिलीवरी के साथ-साथ आनलाइन टेलीफोन और वीडियो कंसल्टेशन को सक्षम किया गया. सभी निर्देशों का पालन करते हुए आरएम एवं आउट लोकेशंस पर कोविड टेस्ट की सुविधा शुरू की गई. दूसरी लहर में मामले और मृत्यु दर अधिक रही. कोविड आइसोलेशन बेड, आईसीयू, सीसीयू एवं आक्सीजन बेडों तथा आक्सीजन स्टोरेज को बढ़ाया गया है. तीसरी लहर से निपटने के लिए बुनियादी ढांचे का विस्तार, अधिकतम टीकाकरण और कोविड-19 के उचित व्यवहार का निरंतर पालन महत्वपूर्ण होगा. डॉ सुधीर राय ने कहा कि एक प्रोफेशनल डॉक्टर एवं रोगी के बीच संवाद होना अत्यंत महत्वपूर्ण है, जहां चिकित्सा कला एवं विज्ञान का संयोजन होता है. हमें रोगियों का समग्र रूप से इलाज कराना चाहिए, न कि केवल जांच के आधार पर. इस महामारी ने दूरस्थ टेली एवं वीडियो कंसल्टेशन एवं रोगियों से बातचीत को सक्षम बनाया है. यह चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है. (नीचे पढ़े क्या कह रहे जीएम डॉ राजन चौधरी.)
कोविड-19 महामारी को लेकर डॉ राजन चौधरी, एडवाइजर, मेडिकल सर्विसेज से विशेष बात की. प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंशः
सवाल : कोविड-19 के दौरान आपका समग्र अनुभवः
डॉ चौधरीः हमने कोविड-19 में बेडों की व्यवस्था की, उपचार प्रोटोकॉल बनाया तथा उपलब्ध संसाधनों से बड़ी संख्या में रोगियों का प्रबंधन किया. शुरुआत में कम जानकारी के कारण यह चुनौतीपूर्ण काम था. हमने दिशा-निर्देशों का पालन कर क्षमता के अनुरूप सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया. पहली लहर में एक आरटीपीसीआर लैब की स्थापना की. पहली लहर में इलाज एवं आइसोलेशन के लिए टीएमएच और अस्पताल के बाहर 1,000 बेडों की व्यवस्था की. दूसरी लहर में, हमारे अस्पताल में आक्सीजन युक्त 450 बेड थे, जिनमें 50 वेंटिलेटर बेड थे. इसके अलावा, लक्षणहीन और हल्के लक्षण वाले रोगियों के लिए टीएमएच के बाहर 150 कोविड-19 बेड थे. पहली लहर की अपेक्षा दूसरी लहर में आक्सीजन, वेंटिलेटर और एचएफएनओ की अधिक आवश्यकता थी. यहां तक की ठीक होने के बाद भी रोगियों को अस्पताल में रखकर आक्सीजन एवं वेंटिलेटर सपोर्ट देने की जरुरत पड़ी. अब, तीसरी लहर में हमें ऐसे और बेडों की जरूरत होगी, जो आक्सीजन एवं वेंटिलेटर सपोर्ट तथा बड़े कार्यबल की उपलब्धता से लैस हों. श्री चौधरी ने कहा-मैं अपनी क्षमता के अनुरूप चुनौतियों का सामना करता हूं. दिन का सबसे शांतिपूर्ण समय मेरी मॉर्निंग वॉक का होता है. मैं लंबे व्यक्तिगत फोन कॉल से बचता हूं, निर्धारित समय पर भोजन करता हूं एवं कॉमिक फिल्में देखकर आराम करता हूं. इससे हमें लड़ना और खुद को स्वस्थ रखना चाहिए.
सवाल : तीसरी लहर को लेकर कौन सी सावधानी बरतनी चाहिएः
डॉ राजन चौधरीः .अपना, परिवारवालों और दोस्तों का टीकाकरण करवाएं. उचित मास्क पहनें एवं कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें. छोटे बच्चों के माता-पिता टीका लगवाएं. गर्भधारण की योजना बनाने वाली महिलाएं पहले टीका लगवाएं. दूध पिलाने वाली माताओं को टीका लगवाना चाहिए.