जमशेदपुर : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को लोग उनकी जयंती 2 अक्टूबर को याद करेंगे तो पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री को भी उनकी जयंती पर याद किया जायेगा. इन दोनों का आगमन झारखंड के जमशेदपुर शहर में होता रहा है. जमशेदपुर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का तीन बार आगमन हुआ है. इतिहास में झांके तो ‘टाटा समूह’ के साथ महात्मा गांधी का जुड़ाव 1909 से था, जब टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी नसरवानजी टाटा के छोटे पुत्र सर रतन टाटा ने साउथ अफ्रीका में गांधीजी के कार्यों में सहयोग के लिए 25 हजार रुपये की चेक के साथ एक पत्र भेजा था. इसके बाद, महात्मा गांधी ने 8 अगस्त 1925 को पहली बार जमशेदपुर का दौरा किया था. उनके इस दौरे के दो प्रमुख उद्देश्य थे-मजदूरों के संघर्ष का समाधान करना और भारत के प्रथम योजनाबद्ध औद्योगिक टाउन का अवलोकन करना. अपने प्रवास के दौरान उन्होंने जमशेदपुर और स्टील प्लांट के कई स्थानों का भ्रमण किया. उन्होंने टिस्को इंस्टीट्यूट (अब यूनाइटेड क्लब) में मजदूरों को संबोधित किया, जिसे आज यूनाइटेड क्लब के नाम से जाना जाता है. अपने दौरे के क्रम में उन्होंने कहा, ‘‘टाटा साहसिक-कर्म भावना के प्रतीक हैं. टाटा साहस की भावना का प्रतिनिधित्व करतेहै’’ उन्होंने राष्ट्र और इसकी जनता के प्रति टाटा की प्रतिबद्धता को दोहराया. ‘हरिजन आंदोलन’को लेकर अपने देशव्यापी भ्रमण के दौरान 4 मई, 1934 को वे दूसरी बार स्टील सिटी पधारे थे. इस दौरान वे धातकीडीह स्थित हरिजन बस्ती में जाकर हरिजन आंदोलन चलाया था. कुल तीन बार वे जमशेदपुर आये थे. पहली बार 8 अगस्त 1925 को आये थे, जिसमें मजदूरों की समस्याओं का निराकरण करने के लिए आये थे जबकि दूसरी बार 4 मई 1934 को वे दूसरी बार आये थे और हरिजन आंदोलन में शामिल हुए थे और हरिजन रैली के लिए वहां से फंड का जुटान कराया था. वे यहां जुगसलाई के गार्डेन हाउस में आकर बैठक की थी और देश को आजाद करने की रणनीति भी बनायी थी.वे जुगसलाई रामटेकरी रोड स्थित स्वतंत्रता सेनानी सह समाजसेवी स्वर्गीय मुरलीधर अग्रवराल के घर गार्डेन हाऊस में रात भी गुजारी थी. जमशेदपुर में उनका तीसरा दौरा वर्ष 1940 को हुआ था. वे रामगढ़ कांग्रेस की बैठक से लौटते वक्त छोड़ी देर के लिए ही वे आये थे. (जमशेदपुर आगमन पर लाल बहादुर शास्त्री ने क्या किया था जानें)
बिष्टुपुर गोपाल मैदान में की थी लालबहादुर शास्त्री ने सभा
बिष्टुपुर स्थित गोपाल मैदान ऐतिहासिक है. भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद गुदड़ी के लाल कहे जाने वाले लाल बहादुर शास्त्री यहां जनसभा को संबोधित करने के लिए आये थे. वे 19 दिसंबर 1965 को इस मैदान में स्वर्गीय विनोबा भावे के साथ जनसभा को संबोधित किया था. लाल बहादुर शास्त्री यहां से जाने के बाद दिल्ली होते हुए ताशकंद गये थे, जहां उनकी मौत हो गयी थी. प्रधानमंत्री रहते हुए लाल बहादुर शास्त्री 19 दिसंबर 1965 को टाटा स्टील के समारोह में हिस्सा लेने के लिए आये थे. वे टाटा स्टील के प्लांट का दौरा भी किया था और यहां के अधिकारियों से भी बातचीत की थी.