जमशेदपुर : साकची श्री अग्रसेन भवन में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन मंगलवार को ब्यासपीठ से कथावाचक पंडित मनीष शंकर ने राजा परीक्षित के जन्म एवं शाप, श्री शुकदेव जी के आगमन, विदुर-मैत्रेय संवाद, कपिल देवहूति संवाद, ध्रुव चरित की कथा विस्तार के साथ सुनाई. उन्होंने कहा कि शुकदेव जी इस संसार में भागवत का ज्ञान देने के लिए ही प्रकट हुए. शुकदेव का जन्म विचित्र तरीके से हुआ. कहते हैं शुकदेव जी बारह वर्ष तक मां के गर्भ में रहे. वहीं श्रीमद् भागवत कथा के प्रभाव से राजा परीक्षित को मोक्ष प्राप्त हुआ. (नीचे भी पढ़ें)
दक्ष यज्ञ प्रसंग सुनाते हुए पं मनीष शंकर ने कहा कि यज्ञ का उद्देश्य पवित्र होना चाहिए. दक्ष कर्मयोगी था, कर्मठ था, किंतु कर्म का उद्देश्य उसने अपवित्र रखा. शिव के अपमान का लक्ष्य रखा, जिसका परिणाम यह निकला कि उसका यज्ञ भंग हो गया और स्वयं का शिरोच्छेदन हुआ. कर्म का उद्देश्य यदि पवित्र हो तो वह कर्म यज्ञ कहलाता है. कथावाचक ने आगे कहा कि भक्ति में दृढ़ता का भाव होने पर ही भगवत्-साक्षात्कार संभव है. साधक को सदा याद रखना चाहिए कि बिना निश्चय के नारायण नहीं मिलते. ध्रुव ने एक निश्चय किया था कि मुझे भागवान का साक्षात्कार करना है. वह निश्चय ही उन्हें लक्ष्य प्राप्ति में सफल बनाता है. जो व्यक्ति अपने लक्ष्य को दुर्लभ मानता है, वह कभी भी उसे नहीं पा सकता. दूसरे दिन मंगलवार को अग्रवाल (नोपाका) परिवार द्वारा आयोजित कथा में प्रमुख रूप से शंकरलाल अग्रवाल, शंभु खन्ना, शिवशंकर अग्रवाल, विनोद खन्ना, आनन्द अग्रवाल, विश्वनाथ अग्रवाल, कैलाशनाथ अग्रवाल, अमरचंद अग्रवाल, श्रवण कुमार अग्रवाल, दामोदर प्रसाद अग्रवाल समेत काफी संख्या में भक्तों ने उपस्थित होकर कथा का आनन्द लिया.