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jharkhand-advocate-झारखंड में 8 हजार अधिवक्ताओं ने क्यों नहीं जमा नहीं किया बार काउंसिल का फार्म, जब पढ़ाई कर अधिवक्ता बने है तो सर्टिफिकेट और अन्य दस्तावेज जमा करने में क्या, स्टेट बार ने अधिवक्ताओं को दिया अंतिम मौका

रांची/जमशेदपुर : झारखंड में करीब आठ हजार अधिवक्ताओं ने अपना सर्टिफिकेट और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) के फार्म को नहीं भरकर जमा कराया है. अब उन पर मान्यता का खतरा उत्पन्न हो गया है. झारखंड में करीब 30 हजार वकील है, जिसमें जमशेदपुर, रांची, धनबाद और बोकारो जिले में सबसे अधिक अधिवक्ता है. इन 30 हजार में से 16 हजार लोगों ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया का फार्म भर दिया है जबकि आठ हजार लोगों ने फार्म नहीं भरा है. 6 हजार लोग ऐसे है, जो 2010 के बाद वकीलों के इनरोलमेंट में आये है, जिनको सर्टिफिकेट जमा करना या फार्म जमा करना जरूरी नहीं है, उनका पहले ही वेरिफिकेशन हो चुका है. सितंबर माह तक इनको फार्म जमा करना है, लेकिन अब तक जमा नहीं किया गया है, जिसको लेकर स्टेट बार काउंसिल ने सारे अधिवक्ताओं को कहा है कि वे लोग खुद से फार्म भर दे नहीं तो मान्यता ही समाप्त हो सकती है और वे लोग वकालत नहीं कर पायेंगे. अगर फार्म भरने में कोई दिक्कत हो तो स्टेट बार काउंसिल से संपर्क किया जा सकता है. साफ तौर पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कह दिया है कि जब पढ़ाई कर लोग अधिवक्ता बने है तो क्यों नहीं सर्टिफिकेट या फार्म जमा कर रहे है. बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने साफ कर दिया है कि कोई व्यक्ति अगर प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं होता है तो उनका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है और वकालत पर रोक लगा दी जायेगी. राज्य भर के सारे वकीलों को अपने प्रमाण पत्रों का सत्यापन कर एक फार्म भरा जाना है, जो आठ हजार अधिवक्ताओं ने अब तक नहीं किया है. देश भर में यह वेरिफिकेशन का काम चल रहा है और सभी विश्वविद्यालयों को कहा है कि राज्य की बार काउंसिल इसको सुनिश्चित कराये और सभी विश्वविद्यालय बिना देर किये सभी के प्रमाण पत्रों का सत्यापन करके दे दें. वैसे कई लोग अभी यह दलील दे रहे है कि उनका प्रमाण पत्र फट गया है तो कोई गुम होने की बात कर रहे है. इसको बार काउंसिल नहीं मानने वाला है. वैसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह वेरिफिकेशन चल रहा है.

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