Jamshedpur : वेतन बढोत्तरी और नियमितीकरण की मांग को लेकर सहायक पुलिसकर्मियों का आंदोलन जारी है. आपको बता दें पिछली रघुवर सरकार ने नक्सल प्रभावित इलाकों के युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ने को लेकर राज्य पुलिस में सहायक पुलिस के रूप में 10 हजार के मानदेय पर तीन साल के लिए बहाल किया था. बहाली के दौरान उन्हें भरोसा दिलाया गया था कि तीन साल के बाद नियमित कर दिया जाएगा. वहीं तीन साल की सेवा समाप्त होने पर ये सहायक पुलिसकर्मी नियमित किए जाने और वेतन बढ़ाये जाने की मांग उठाने लगे. इधर वर्तमान हेमन्त सोरेन सरकार ने इन सहायक पुलिसकर्मियों की बहाली को रद्द करने का ऐलान कर दिया. जिसके बाद राज्य भर के लगभग 25 सौ सहायक पुलिसकर्मी आंदोलित हो उठे और पिछले 9 सितंबर से ही हड़ताल पर चले गए.
इधर शनिवार को सहायक पुलिसकर्मी अपनी मांगों से मुख्यमंत्री को अवगत कराने जमशेदपुर पुलिस लाईन से रांची के लिए निकले, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से इन जवानों को रोक लिया गया. अपने ही विभाग द्वारा सभी सहायक पुलिसकर्मियों को पुलिस लाईन में ही रोक दिया गया, जहां सभी सहायक पुलिसकर्मी धरने पर बैठ गए. जवानों ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं, उनका आंदोलन जारी रहेगा. जवानों ने सरकार को चेतावनी भी दी है कि अगर सरकार अपनी जिद पर अड़ी रहती है तो वे वापस उसी रास्ते चल पड़ेंगे जिस रास्ते पर नक्सल प्रभावित क्षेत्र के युवा भटक कर पहुंच गए हैं. मतलब साफ है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र के बेरोजगार हुए युवा कहीं न कहीं सरकारी उपेक्षा का शिकार होकर नक्सलवाद का रास्ता अख्तियार कर सकते हैं. वैसे भारतीय जनता पार्टी सहायक पुलिस कर्मियों के समर्थन में खड़ी है और इन पुलिसकर्मियों की बहाली को रद्द किए जाने को लेकर राज्य की हेमंत सरकार को घेर चुकी है. ऐसे में अब देखना है कि सरकार और सहायक पुलिस कर्मियों के बीच जारी जंग का अंत कहां होता है.