रांची: शिबू सोरेन के खिलाफ 5 अगस्त, 2020 को शिकायत दर्ज की गई थी कि वह और उनके परिवार के सदस्य बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में शामिल हैं. उन्होंने झारखंड राज्य में सरकारी खजाने का दुरुपयोग कर, आय के ज्ञात और घोषित स्रोतों और उनके नाम पर कई वाणिज्यिक और आवासीय संपत्तियां के अनुपात में बड़ी संपत्ति अर्जित की है. लोकपाल की पूर्ण पीठ ने 15 सितंबर, 2020 को केंद्रीय जांच ब्यूरो को लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 की धारा 20 (1) (ए) के तहत मामले की प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया था. सीबीआई ने 1 जुलाई को रिपोर्ट सौंपी, जिसमें शिबू सोरेन और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर जो भी संपत्तियां हैं, उनका विवरण संलग्न किया गया. सीबीआई ने कुछ आयकर रिटर्न भी संलग्न किया और सूचित किया कि इसने उनके कब्जे में संपत्तियों के बारे में उनकी टिप्पणी मांगी है.(नीचे भी पढ़े)
जिस पर न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी और सदस्य महेंद्र सिंह और इंद्रजीत पी गौतम की पीठ ने 4 अगस्त को आय से अधिक संपत्ति के मामले में दिशोम गुरु शिबू सोरेने के खिलाफ एक आदेश पारित किया. चार पन्नों के आदेश में कहा गया है कि लोकपाल की विचाराधीन राय में धारा 20(3) के तहत दिशोम गुरु शिबू सोरेन के खिलाफ कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि लोक सेवक के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए प्रथम दृष्टया मामला है या नहीं.लोकपाल की पूर्ण पीठ ने 29 जुलाई, 2021 को आदेश पारित किया. सीबीआई की रिपोर्ट के आलोक में भारत के लोकपाल की पूर्ण पीठ ने 29 जुलाई, 2021 को आदेश पारित किया कि प्रतिवादियों से टिप्पणियां/दस्तावेज मांगे जाने चाहिए. लोकपाल ने अपने आदेश में कहा है कि उसने अपना जवाब दाखिल करने के लिए कई मौकों पर शिबू सोरेन को समय दिया और आवश्यक दस्तावेज भी प्रदान किए गए. अंतत: इस साल 4 अप्रैल को जवाब दाखिल किया गया.(नीचे भी पढ़े)
लोकपाल ने सीबीआई को जवाब की जांच करने और जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया. इस बीच राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन के सक्षम अधिकारी से टिप्पणियां मांगी गईं. जवाब में, राज्यसभा सचिवालय के अतिरिक्त निदेशक ने सूचित किया कि शिकायत में लगाए गए आरोपों पर राज्यसभा के सभापति के पास कोई टिपप्णी नहीं है. सीबीआई ने 29 जून, 2022 को अंतिम प्रारंभिक जांच रिपोर्ट दायर की, जिसे लोकपाल ने काफी विस्तृत पाया.धारा 20(3) के तहत कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए. लोकपाल ने अपने आदेश में कहा है कि हमने इस मामले में शिकायत, लोकसेवक की टिप्पणियों और सीबीआई की स्थिति रिपोर्ट और अन्य सामग्री पर गहन और विचारशील विचार किया है. कथित आरोपों की गंभीरता को देखते हुए हमारा विचार है कि धारा 20(3) के तहत कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि लोकसेवक के खिलाफ एक या अधिक के तहत कार्यवाही करने के लिए प्रथम दृष्टया मामला मौजूद है या नहीं.