रांची : भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के खिलाफ चल रहे दल बदल कानून के मामले को लेकर झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो के न्यायाधिकरण में सुनवाई हुई. इस सुनवाई के दौरान बाबूलाल मरांडी के वकील आरएन सहाय ने कहा कि इसकी सुनवाई संवैधानिक तरीके से नहीं हो रही है. उन्होंने आपत्ति जतायी कि पहले प्रारंभिक आपत्ति पर फैसला कर लिया जाये, उसके बाद ही केस की मेरिट पर सुनवाई की जाये. आपको बता दें कि पहले की सुनवाई में ही प्रारंभिक आपत्तियों को न्यायाधिकरण ने खारिज कर दिया है. बहस के दौरान बाबूलाल मरांडी के वकील आरएन सहाय ने कहा कि मामले में संवैधानिक रूप से सुनवाई नहीं हो रही है. उन्होंने कहा कि जब तक प्रारंभिक आपत्ति पर निर्णय नहीं हो जाता, तब तक केस की मेरिट पर सुनवाई नहीं हो सकती है. आपको बता दें कि बाबूलाल मरांडी के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष के न्यायाधिकरण में चार अलग-अलग याचिका दायर की गयी है, जिसमें पूर्व विधायक राजकुमार यादव, झामुमो विधायक भूषण तिर्की, कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह और विधायक प्रदीप यादव और विधायक बंधु तिर्की ने याचिका लगायी है. इन सारी याचिकाओं पर काफी दिनों से सुनवाई चल रही है. इस याचिका में कहा गया है कि बाबूलाल मरांडी ने झाविमो से चुनाव जीता और फिर भाजपा में शामिल होकर पार्टी में विलय किया जबकि पार्टी के ही दो विधायक कांग्रेस में गये. ऐसे में बाबूलाल मरांडी का मामला दल बदल कानून का बनता है और उनकी सदस्यता को रद्द की जाये. इस मामले में सुनवाई के लिए न्यायाधिकरण में स्पीकर ने आठ बिंदू तय किये थे. इसके तहत बाबूलाल मरांडी द्वारा 10वीं अनुसूचि के तहत झाविमो को स्वेच्छा से छोड़ जाना माना जायेगा या नहीं, बाबूलाल मरांडी द्वारा अकेले भाजपा छोड़ा जाना 10वीं अनुसूची की पारा चार का लाभ उन्हें प्राप्त होगा या नहीं, तथ्यों के आधार पर विलय का दावा करना 10वीं अनुसूची के पारा चार के तहत मान्य है या नहीं, विधायक प्रदीप यादव व बंधु तिर्की को पार्टी से निष्कासित करने के बाद कितने सदस्य संख्या पूर्ववत रही या नहीं, बाबूलाल मरांडी तथ्यों और संवैधानिक प्रावधानों के आधार पर दलबदल करने के बाद झारखंड विधानसभा नियम 2006 के आधार पर निरर्हता से ग्रस्त हो गये हैं या नहीं, बाबूलाल मरांडी की सदस्यता यदि निरर्हता यानि अयोग्य घोषित हुए तो किस तिथि से लागू होगी, तथ्यों व संवैधानिक प्रावधानों के तहत नियम-2006 के आधार पर बाबूलाल की सदस्यता रहेगी या नहीं, इस पर बहस होनी है. बाबूलाल मरांडी के खिलाफ दी गयी अर्जी अधिक विलंब होने के कारण सुनने के लायक है या नहीं, इसके बारे में भी सुनवाई की गयी. इस सुनवाई के दौरान बाबूलाल मरांडी के अधिवक्ता ने केस की सुनवाई को ही खारिज करने की मांग रखी, लेकिन इस मांग को खारिज कर दिया गया और विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि न्यायाधिकरण के पास सुनवाई करने का अधिकार है, इस कारण इस पर फैसला जल्द ले लिया जाना चाहिए क्योंकि काफी देर हो रही है. इस तरह के मीटिंग के बाद लग रहा है कि फैसला जल्द आ जायेगा.