रांची : भाजपा के नये प्रदेश अध्यक्ष को लेकर एक या दो दिनों में फैसला हो जाने की उम्मीद है. भाजपा के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश का कार्यकाल 25 फरवरी को समाप्त होने वाला है. इस कारण हर हाल में दो दिनों में केंद्रीय नेतृत्व को फैसला लेना पड़ेगा. सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय नेतृत्व ने जिस तरह जेपी नड्डा को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाये रखा है, उसी तरह दीपक प्रकाश को भी 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव तक बनाये रखा जा सकता है ताकि पार्टी सुचारु रुप से संचालित हो सके. नये नाम के आने से संगठन को चलाने में दिक्कतें आ सकती है. वैसे अगर चेहरा बदला गया तो सबसे मजबूत दावेदार आदित्य साहू का ही सामने आया है. वहीं, चतरा के सांसद सुनील सिंह ने भी अपनी दावेदारी पेश कर दी है. (नीचे भी पढ़ें)
बताया जाता है कि आदित्य साहू मजबूत दावेदार है क्योंकि उनके साथ पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी है. बताया जाता है कि केंद्रीय नेतृत्व बाबूलाल मरांडी को ही प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहती थी, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया और पार्टी के महासचिव सह राज्यसभा सदस्य आदित्य साहू का नाम को आगे किया. वहीं, उनको पूर्व सीएम रघुवर दास का भी साथ मिला है. वैसे पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की पहली पसंद विधायक सह पूर्व मंत्री अमर बाउरी थे, लेकिन बाबूलाल मरांडी के आदित्य साहू के नाम को आगे किये जाने के बाद रघुवर दास ने उनको ही समर्थन कर दिया है.वैसे प्रदेश अध्यक्ष के पद के लिए पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को भी ऑफर दिया गया है. लेकिन रघुवर दास ने इस पद को लेने से इनकार किया है. (नीचे भी पढ़ें)
वहीं, राज्यसभा सांसद समीर उरांव, विधायक अनंत ओझा और महामंत्री प्रदीप वर्मा के साथ साथ मेयर आशा लकड़ा का भी नाम सामने आया है. भाजपा के नये प्रदेश अध्यक्ष के नाम के बीच यह भी चर्चा अब तेज हो चुकी है कि हर हाल में दीपक प्रकाश को फिर से कमान दे दी जायेगी. वैसे भाजपा के प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी प्रदेश अध्यक्ष के कार्यों से संतुष्ट नही है और बताया है कि सारे उपचुनाव उनके नेतृत्व में पार्टी ने हारे है. दीपक प्रकाश के नाम पर वैसे ज्यादा विरोध भी नहीं है. बताया जाता है कि सिदगोड़ा सूर्य मंदिर में हुए कार्यक्रम में बुधवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश भी आये थे और उनकी काफी देर तक रघुवर दास के साथ बातचीत भी हुई है. बताया जाता है कि उनके एक्सटेंशन को लेकर ही बातें हुई है, जिस पर रघुवर दास ने साफ तौर पर कहा है कि उनका कोई विरोध नहीं है.