जमशेदपुर : झारखंड की पूर्ववर्ती भाजपा की रघुवर सरकार की नियोजन नीति वापस लेने सहित जेपीएससी परीक्षा से जुड़े कई संशोधनों पर राज्य की मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने हेमंत सरकार की कार्यसंस्कृति और मंशा पर गंभीर सवाल उठाये हैं. मंगलवार की कैबिनेट बैठक में वर्ष 2016 और 2018 की संशोधित नियोजन नीति को रद्द करने के निर्णय को अप्रासंगिक करार देते हुए भारतीय जनता पार्टी ने विरोध ज़ाहिर किया है. रांची में भाजपा के विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने संवाददाता सम्मेलन कर इस नीति के संशोधन का विरोध किया और कहा कि यह गलत तरीके से नियमों को बदल दिया गया है. इससे सबको न्याय नहीं मिल सकेगा. (नीचे पढ़े भाजपा के प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी के सात सवाल)
दूसरी ओर, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने सरकार के निर्णयों को बेतुका करार देते हुए तीव्र आलोचना की है. कहा कि बगैर नई नियोजन नीति लागू किये जल्दबाजी में लाखों योग्य प्रतिभागी युवाओं को रोज़गार से वंचित करना गंभीर कोटि का अपराध है. उन्होंने उन सफ़ल प्रतिभागियों के प्रति भी गहरी चिंता ज़ाहिर किया है जो नियुक्ति पत्र का इंतेज़ार कर रहे थे. छात्रों और प्रतिभागियों के भविष्य की चिंता करते हुए भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि कड़ी मेहनत के बूते परीक्षा पास करना और नियुक्ति पत्र मिलने की जगह विज्ञापन रद्द करने की ख़बर मिलना अत्यंत पीड़ादायक और दुर्भाग्यपूर्ण है. भाजपा ने हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली यूपीए गठबंधन सरकार को युवा विरोधी करार देते हुए निर्णयों की समीक्षा और अविलंब वापस लेने की मांग की है. इस बाबत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं झारखंड सरकार से भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने सात सवालों पर जवाब पूछा है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भाजपा के सवाल :- (नीचे पढ़े भाजपा के 7 सवाल)
- सोनी कुमार के मामले में आठ फ़रवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। राज्य सरकार ने SLP दायर की है उसके पहले इस निर्णय के लिए इतनी हड़बड़ाहट क्यों?
- नियोजन नीति ग़लत थी तो राज्य सरकार ने उसे हाइ कोर्ट में डिफेंड क्यों किया? फिर हाइ कोर्ट में हारने के बाद सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज क्यों किया?
- पहले कोर्ट से बिना स्टे ऑर्डर लिए नौ महीनों तक बहाली रोक की जाती है और साल भर के बाद ख़त्म कर दी जाती है ये कैसा निर्णय है?
- 2011-2013 ज़िलों के इतिहास, संस्कृत तथा संगीत के शिक्षक, पीआरटी शिक्षक, पंचायत सचिव अभ्यर्थी, रेडियो ऑपरेटर, स्पेशल ब्रांच और उत्पाद सिपाही के हज़ारों अभ्यर्थी जिनका डॉक्यूमेंट वेरिफ़िकेशन होकर बस ज्वाइनिंग बाक़ी थी उनकी रोज़ी रोटी भी सरकार ने छीन ली है.
- कैबिनेट सचिव छठी जेपीएससी का कट ऑफ़ डेट 1 अगस्त 2016 बता रहे हैं जबकि वास्तविक रूप से वह 1 अगस्त 2010 था. सातवीं जेपीएससी का कटऑफ उस हिसाब से अगस्त 2011 होना चाहिए. पिछले बार 7वीं जेपीएससी का जो विज्ञापन निकला था उसमें भी कट ऑफ़ साल 2011 रखा गया था. इस पर स्थिति स्पष्ट हो.
- जेपीएससी में प्रत्येक पेपर में न्यूनतम मार्क क्यों नहीं सुनिश्चित किया जा रहा है? स्थानीय भाषा या झारखंड का विशेष पेपर का महत्व क्यों नहीं है? क्या अर्थशास्त्र में फ़ेल होने वाले अभ्यर्थी को राज्य सरकार वित्त अधिकारी बनाना चाहती है?
- बिना नई नियोजन नीति या उसका मसौदा बनाए पुरानी को निरस्त करके चली आ रही नियुक्ति प्रक्रिया को डिरेल करने के पीछे किन लोगों की साज़िश है? और अगर पिछली सरकार के समय की सारी नियुक्तियां ग़लत लग रही है तो छठें जेपीएससी के लिए ये विशेष प्रेम मुख्यमंत्री का क्यों है ?