जमशेदपुर : जमशेदपुर के ग्रामीण क्षेत्र बहरागोड़ा प्रखंड के पूर्वांचल क्षेत्र के विभिन्न गाँवों के दर्जनों युवा मजदूर तमिलनाडु के कोयम्बटुर स्थित एक प्लान्ट में कार्यरत हैं . लॉकडाऊन के दौरान इन मजदूरों को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था. भोजन सामग्री भी समाप्त हो चुका था. इन 27 मजदूरों में से एक बालक सिंह मुंडा ने भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिनेशानंद गोस्वामी से संपर्क कर अपनी कठिनाइयों को बताया. डॉ गोस्वामी ने केन्द्रीय जनजाति मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा से इन मजदूरों की कठिनाइयों को दूर करने हेतु तमिलनाडु सरकार से बात करने का आग्रह किया.
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने तमिलनाडु सरकार के उच्चस्तरीय पदाधिकारियों से इन मजदूरों को मदद् करने को कहा. तमिलनाडु सरकार के डीएसपी स्तर के पदाधिकारी जाकर इन मजदूरों को भोजन सामग्री मुहैया कराया. अपने घर वापस आने के लिए इन प्रवासी मजदूरों का पंजीयन हो गया है. डॉ गोस्वामी ने सभी प्रवासी मजदूरों से धैर्य बरतने का आग्रह किया है. डॉ गोस्वामी ने कहा कि केन्द्र सरकार सभी प्रवासी मजदूरों को अपने घरों पर वापस लाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था कर रही है. कोयम्बटुर में कार्यरत बहरागोड़ा प्रखंड के भुतिया गाँव के प्रवासी युवा मजदूर बालक सिंह मुंडा ने सहयोग करने के लिए डॉ गोस्वामी तथा केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के प्रति आभार जताया है.
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखा पत्र
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर राज्य के औद्योगिक संस्थानों में संगठित के साथ-साथ अस्थायी एवं ठेका मजदूरों में व्यापक हित में कोविड-19 से अप्रभावित क्षेत्रों के उद्योगों को शीघ्र खोलने का आग्रह किया है. श्री दास ने पत्र में बताया है कि ऐसे कारखानों में फिर से उत्पादन प्रारंभ करना न सिर्फ मजदूर हित बल्कि उद्योग हित में भी आवश्यक है. उन्होंने कहा है कि झारखंड के लाखों मजदूर परिवार की आजीविका उद्योग-धंधे पर निर्भर है. इस वैश्विक महामारी से मध्यम एवं लघु उद्योग के मजदूर सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं। ऐसे श्रमिकों में टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टाटा के अन्य इकाईयां, टिमकेन, लाफार्ज (सीमेंट प्लांट), एचइसी और बोकारो स्टील प्लांट जैसे बड़े उद्योगों में काम करने वाले ठेका मजदूर भी शामिल हैं, जिन्हें ठेकादार वेतन नहीं दे रहे हैं. ऐसे मजदूरों के समक्ष गंभीर आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है. कमोवेश यही हाल आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में लगभग 1600 उद्योगों में लाखों कामगारों के हैं. उन्होंने कहा है कि एसिया के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र (आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र) के लगभग 1600 बड़े, मध्यम एवं लघु उद्योग बंद पड़े हैं। इस उद्योग में लगभग एक हजार ऐसे उद्योग हैं, जो देश के सबसे बड़े ऑटोमोबाइल कंपनी टाटा मोटर्स पर निर्भर हैं. अकेले इन एक हजार उद्योगों में 80 हजार मजदूर काम करते हैं. टाटा मोटर्स का उत्पादन प्रभावित होने की वजह से इस पर निर्भर करने वाले आदित्यपुर के उद्योग और उसके मजदूर बदहाल हैं. उनके सामने परिवार का भरण-पोषण करना एक गंभीर समस्या बन गई है. अपने पत्र में श्री दास ने कोरोना से अप्रभावित क्षेत्रों में केंद्र सरकार द्वारा औद्योगिक प्रतिष्ठानों के चालू किए जाने के दिशा-निर्देश के बावजूद झारखंड में इन औद्योगिक इकाईयों को आवश्यक सावधानियों के साथ अतिशीघ्र चालू किए जाने की दिशा में पहल किया जाए। ऐसा करने से न सिर्फ राज्य के उद्योगों और मजदूरों का हित होगा, राज्य की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी, बल्कि जन-जीवन भी अहिस्ता-अहिस्ता गतिमान होगा.