रांचीः झारखंड विधानसभा की कार्यवाही करीब दोपहर के बाद शुरू हुई. भाजपा विधायक सीपी सिंह ने पूछा कि झाविमो के तीन सदस्य कहां हैं? उन्होंने कहा कि प्रदीप यादव तो कांग्रेस के उपनेता हैं. विदित हो कि चुनाव में झाविमो के तीन नेता विधायक चुने गए थे. इनमें बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की शामिल है. बाबूलाल मरांडी जहां भाजपा में शामिल हो गए, वहीं बंधु तिर्की और प्रदीप यादव कांग्रेस में शामिल हो गए. बाबूलाल को भाजपा ने नेता प्रतिपक्ष बना दिया है, लेकिन मामला अटका हुआ है. अब तक सदन में मान्यता नहीं मिली है.स्पीकर कोर्ट में सुनावाई चल रही है.(नीचे भी पढ़े)
भाजपा चाहती है कि शीघ्र इस पर फैसला लिया जाए. रविवार को भाजपा के विधायक राज्यपाल से भी इस मुद्दे पर मिले थे. हस्तक्षेप की मांग की थी. वहीं, अनुपूरक बजट 2698 करोड़ रुपये का सदन से पास हो गया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बजट सत्र के दौरान सदन में यह स्पष्ट कर दिया है कि झारखंड सरकार शराबबंदी लागू नहीं करेगी. सरकार के पास इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं है. (नीचे भी पढ़े)
मालूम हो कि झामुमो के विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने पिछले दिनों सदन में मुख्यमंत्री से झारखंड में शराबबंदी लागू करने की मांग की थी. झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन ने भी झामुमो के स्थापना दिवस पर शराबबंदी की वकालत की थी.प्रश्नों का उत्तर नहीं मिलने पर भाजपा विधायक भानु प्रताप शाही ने नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि सरकार चला रहे या डमरू बजा रहे. इस पर पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि भानु प्रताप शाही अपने इस बयान पर तुरंत माफी मांगें. यह बयान आपत्तिजनक है. (नीचे भी पढ़े)
बहरहाल, इस बहसबाजी के बीच सदन में मुख्यमंत्री प्रश्नकाल आरंभ हो गया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सदन में कहा कि स्थानीयता नीति पर उच्च न्यायालय के आदेश पर अध्ययन हो रहा. इसके अनुरूप ही पहल की जाएगी.उधर, लंबोदर महतो के सवाल का जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि 1932 के खतियान को स्थानीय नीति का आधार बनाने का मामला विचाराधीन है. विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि स्थानीय नीति अहम है. (नीचे भी पढ़े)
पूर्व सरकार की नीति रद होनी चाहिए. आलमगीर आलम ने यह भी कहा कि स्थानीय नीति पर सरकार जल्द निर्णय लेगी. उनके इस जवाब के बाद आसन के समक्ष पहुंच कर भाजपा विधायक हंगामा करने लगे. उनका आरोप है कि मंत्री इस मामले में गोलमोल जवाब दे रहे हैं. बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा देने की मांग को लेकर विपक्ष ने विधानसभा मुख्य द्वार पर जोरदार हंगामा और नारेबाजी की. सत्ता पक्ष के मुख्य सचेतक बिरंचि नारायण ने कहा कि सरकार के इशारे पर स्पीकर दो वर्षों से बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं दे रहे हैं. (नीचे भी पढ़े)
उन्होनें कहा कि चुनाव आयोग ने राज्यसभा चुनाव में बाबूलाल को भाजपा विधायक का दर्जा दिया इसके बाद भी स्पीकर उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं दिया. कहा कि एक तरफ स्पीकर प्रदीप यादव से झाविमो नेता के रूप में भाषण दिलाते हैं लेकिन वह कांग्रेस विधायक दल के उपनेता हैं. इससे साफ पता चलता है कि सरकार बाबूलाल मरांडी से डरी हुई है. सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद भाजपा के विधायक सदन में खड़े होकर हंगामा करते रहे. (नीचे भी पढ़े)
नेता प्रतिपक्ष की मान्यता को लेकर नारेबाजी कर रहे हैं. मार्शलों ने उनसे पोस्टर ले लिए हैं. स्पीकर ने कहा कि बाबूलाल मरांडी के मामले की सुनवाई चल रही, जल्द ही निर्णय कर लेंगे. नारेबाजी के बीच प्रश्नकाल भी शुरू हुआ.कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद ने सदन शुरू होने से पूर्व विधानसभा के प्रवेश द्वार पर कई मांगों की पूर्ति करने के लिए धरना दिया.(नीचे भी पढ़े)
उन्होंने तख्ती लहराते हुए सरकार से ओबीसी को 50 प्रतिशत आरक्षण बढ़ाने की मांग की. कहा कि राज्य पिछड़ा आयोग ने इसके लिए अनुशंसा कर दी है, इसलिए सरकार इस पर अमल करे. अंबा प्रसाद ने सरकार से विस्थापन आयोग गठित करने की भी मांग की है.
स्थानीय नीति पर उच्च न्यायालय के आदेश को किया जा रहा अध्ययनः सीएम
स्थानीय नीति को लेकर पूरा राज्य अवगत है. यह विषय हमेशा राज्य में राजनीतिक केंद्र बिंदु बनता है. राज्य गठन के 20 साल हो गए. 1932 की मांग को लेकर तत्कालीन सरकार ने स्थानीय नीति बनाई थी. इसके बाद राज्य में क्या स्थिति बनी सभी जानते हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बजट सत्र के दौरान सदन में कहीं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि इस विषय को उच्च न्यायालय ने स्थगित कर दिया. न्यायालय के आदेश का अध्ययन सरकार कर रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि बहुत जल्द निर्णय लिया जाएगा.गौरतलब है कि लंबोदर महतो मुख्यमंत्री से 1932 के खतियान या अंतिम सर्वे के हिसाब से स्थानीय नीति की मांग कर रहे थे. लंबोदर महतो के पूरक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय नीति को लेकर राज्य गठन के बाद से ही लंबा आंदोलन चला. सबको ध्यान में रखकर सरकार निर्णय लेगी.
स्थानीय नीति में संशोधन को लेकर तीन सदस्यीय मंत्रिमंडल की जल्द बनेगी उपसमिति
स्थानीय नीति में संशोधन को लेकर त्रि-सदस्यीय मंत्रिमंडल उपसमिति जल्द बनेगी. इसकी घोषणा संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने की. वो विधायक लंबोदर महतो और विनोद सिंह के पूरक सवाल पर जवाब दे रहे थे. इसके पहले सरकार की ओर से दिए गए जवाब में यह कहा गया था कि स्थानीय नीति में संशोधन के लिए त्रि-सदस्यीय मंत्रिमंडल उपसमिति सरकार के पास विचाराधीन है. विधायक लंबोदर महतो ने अल्पसूचित प्रश्न के माध्यम से पूछा था कि नियोजन के लिए क्या सरकार 1932 का खतियान या अंतिम सर्वे को आधार बनाकर स्थानीय नीति लागू करना चाहती है? अगर करना चाहती है तो कब तक? इसी सवाल के जवाब में सरकार की तरफ से त्रि-सदस्यीय मंत्रिमंडल उपसमिति जल्द बनाने की बात कही गई.