रांची: मोदी सरनेम पर विवादित बयान देने के मामले में सूरत कोर्ट ने राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई है. इस मामले को लेकर झारखंड में चल रहे विधानसभा सत्र में हो- हंगामा हुआ. सत्ता व विपक्ष विधायक हंगामा करते हुए वेल में आ गए, नारे बाजी करने लगे,हंगामा इतना बढ़ गया कि सदन को स्पीकर ने स्थगित कर दिया. इस दौरान विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि लोकतंत्र में भाजपा के इशारे पर बोलने की स्वतंत्रता का गला घोंटा जा रहा है.कहा कि भाजपा के इशारे पर सूरत की अदालत ने उक्त कार्रवाई की है. इसके बाद सत्ता पक्ष के विधायक वेल में आकर हंगामा करने लगे. इसके बाद विपक्ष के विधायकों ने वेल में आकर हंगामा किया.(नीचे भी पढ़े)
विदित हो कि मोदी सरनेम विवाद में गुरुवार को सूरत कोर्ट ने फैसला सुनाया. कोर्ट ने राहुल गांधी को इस मामले में दोषी करार देते हुए उन्हें दो साल जेल की सजा सुनाई. हालंकि अदालत ने फैसला सुनाने के बाद उन्हें जमानत दे दी है. भारतीय दंड विधान की धारा 499 में आपराधिक मानहानि के मामलों में अधिकतम दो साल की सजा का प्रावधान है. यह मामला 2019 का है जब राहुल ने मोदी सरनेम पर विवादित बयान दिया था.राहुल पर मोदी उपनाम पर टिप्पणी करने के लिए आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज है.
दोबारा सदन की कार्रवाई शुरु होते ही कांग्रेस विधायक ने हंगामा करने लगे. इस दौरान स्पीकर के समक्ष विधायकों ने हंगामा किया. इसके बाद वेल में आकर नारेबाजी करने लगे. (नीचे भी पढ़े)
सीएम ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि सियार शेर का खाल पहन लेगा तो शेर नहीं होगा, देश का बेड़ा गर्क करके रखा है,लोक सभा को सत्ता पक्ष के लोग हीनहीं चलने दे रहे है.सीएम ने कहा कि सदन में टीका टिप्पणी होती है लेकिन कई बार गंभीर विषय भी आता है. देश और राज्य के अंतर संदेश जाता है कि हम कैसा आचरण सदन में कर रहे है.सरकार पर आरोप लगाने से पहले अपने गिरेबां में झांक कर देखा चाहिए. सच है कि सरकार बहुमत से चलती है. 1932 खतियान या नियोजन नीति की बात कर रहे है लेकिन भाजपा के सदस्य 1932 के विरोध में हाईकोर्ट में जाते है. वहीं 1932 का समर्थन कर रहे है.भाजपा पहले बताए कि ये 1932 के समर्थक है या 1985 के विषम दौर से गुजर रहा है.(नीचे भी पढ़े)
सरकार किसी के साथ भेदभाव नहीं करती
100 प्रतिशत झारखंडियों की नौकरी की बात करते हैं तो उसपर यही लोग विरोध करते हैं. विपक्ष को अपनी बातों पर कायम रहना होगा. वर्तमान सरकार किसी के साथ भेदभाव नहीं करती है. राज्य सरकारों को भिखमंगा बनाकर रख दिया है. महंगाई में लगातार वृद्धि हो रही हो रही है. डीजल- पेट्रोल के दाम आसमान छू रहे हैं. भाजपा लोगों को हवाई जहाज पर चढ़ाने की बात करते थे, उसे बेच दिया, रेलवे को बेच दिया. देश दुनिया को अमृत काल से रूबरू करा रहे हैं लेकिन किसान सम्मान निधि को 75 हजार करोड़ से घटाकर 65 हजार करोड़ कर दिया.(नीचे भी पढ़े)
चंद लोगों की जेब भर रही है केंद्र सरकार
केंद्र सरकार पर चौतरफा हमला करते हुए सीएम ने कहा कि देश का पेसा चंद लोगों की जेब में चला गया है. जब विपक्ष के लोग इसका बहिष्कार कर रहे हैं, तो उन पर संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर कार्रवाई की जा रही है. अमृतकल में देश के चंद लोग अमृत पी रहे है जबकि अधिकांश आबादी आज भी गंदी नाली का पानी पी रहे हैं.(नीचे भी पढ़े)
“न काम करूंगा, न काम दूंगा
देश का साथ मात्र 31 लोगों के साथ है. लोगों की आमदनी बड़ी नहीं घट रही है आजादी के बाद सबसे ज्यादा बेरोजगारी इस सरकार के कार्यकाल में हुआ है. केंद्र के भाजपा के कार्यकाल में लगभग 12000 से अधिक व्यापारियों ने आत्महत्या किया है. 10 लाख करोड़ से अधिक व्यापारी साथियों का कर्ज उन्होंने माफ कर दिया. ऐसे में देश कैसे बचेगा. बहुत पहले एक कहावत सुना था ना खाऊंगा, न खाने दूंगा” लेकिन आज देश में स्थिति यह है कि ” न काम करूंगा, न काम दूंगा ” झारखंड में अपने कारनामे से डबल से सिंगल इंजन पर आ गए हैं. वह दिन दूर नहीं जब यह लोग देश से ही समाप्त हो जाएंगे.(नीचे भी पढ़े)
राज्य के झूठे लोगों पर जनता लाठी चलाएगी
सीएम ने कहा कि इन ठगों की बातों पर जो आएगा, वह बर्बाद हो जाएगा. जो देश को पूरा खंडहर करके चले गए उनका बाल भी बांका नहीं कर पाए. आज हमारा देश दुनिया में ठगों का देश कहला रहा है. यहीं काम झारखंड में भी किया. बाहरी को नौकरी देने के लिए दरवाजा खोल दिया था. हमलोगों ने 1932 पारित किया, नियोजन नीति बनाया, लेकिन कोर्ट कौन गया. लाठी- गोली अब आपलोगों पर चलेगी, राज्य के झूठे लोगों पर जनता लाठी चलाएगी.
बकाया पैसा की मांग की, तो लगा दिया ईडी-सीबीआई
हमलोग लोगों के दिल मे बसनेवाले लोग हैं. कोयला में 1 लाख 12 हजार करोड़ भारत सरकार के पास बकाया है. जब पैसा मांगों तो ईडी -सीबीआई लगा देते हैं. रसोई गैस की कीमत दोगुना किसने किया. दाल-चावल का दाम किसने बढ़ाया. इन लोगों ने तो एलआईसी को भी बेच दिया, अब सरकारी कर्मचारी भी जिनका पैसा एलआईसी में है, वह डर रहे हैं.(नीचे भी पढ़े)
जब सीएम ने लगा दी सवालों की झड़ी
सीएम ने सवाल पूछने के लहजे में कहा कि गरीबों का कंबल किसने लूटा, इनसे पूछा जाए, सीएनटी-एसपीटी एक्ट को बदलने का काम किसने किया.. यही लोग कहते थे कि झारखंड के लोगों में नौकरी पाने की योग्यता नहीं है हाथी उड़ाने का काम किसने किया. सीपी सिंह ने हरमू नदी को हरमू नाला बना दिया. 20 वर्षों में तपोवन मंदिर के जीर्णोद्धार करने का काम नहीं किया हमने किया यहां के कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ दिया. हम राज्य के कर्मियों की गाढ़ी कमाई को शेयर बाजार में लूटने के लिए नहीं छोड़ना पड़ा. अभी तो एक राज्य से हाथ धोया है वह दिन दूर नहीं जब पूरे देश से इन्हें हाथ धोना पड़ेगा.
सुदेश महतो पर बोलते हुए सीएम ने कहा कि स्थानीयता पर हमारे बड़े भाई को बहुत चिंता है. यह चिंता है या कुछ और है. 100 प्रतिशत स्थानीय लोगों को नौकरी मिले, इसको लेकर नीति बनाई थी क्या हुआ. 1932 की कोशिश जारी है. हमें पता था कि 1932 पर अड़चन आएगी. विपक्ष में सभी बाहरी नागरिक हैं, कुछ मूलवासी और आदिवासी भी हैं. विपक्ष में बैठे मूलवासी, आदिवासी रोबोट की भूमिका में हैं. जो यूजर से आदेश होता है, उसमें रम जाते हैं.0 मेरा यह मानना है कि मुंडा, महतो, मरांडी झारखंड के हितैषी हो जाएंगे यह कहना उचित नहीं है.(नीचे भी पढ़े)
पहले 1985 आधारित स्थानीय नीति लायी गयी तो आजसू के ही चंद्रप्रकाश चौधरी मिठाई बांट रहे थे. 27 प्रतिशत आरक्षण किसान ओबीसी का कम किया. विपक्ष को पता है कि किसी भी तरीके से नौकरी नहीं लेने देंगे. कोर्ट- कचहरी करके उलझा देंगे. पूर्व में बाहरी आधे से ज्यादा लोगों को भर दिया है. कोडरमा में 172 पदों पर शिक्षकों की बहाली हुई थी जिसमें 48 यूपी बिहार के थे. आज jpsc में जितने लोगों की बहाली हुई थी उसमें कितने बाहरी हैं, बात दें. ये वो लोग हैं जिनकी वजह से सिर्फ बंगला, स्कुरिटी गाड़ी घोडा चाहिए और उसके लिये कभी इधर कभी उधर करते हैं.विधानसभा में पक्ष व विपक्ष के हंगामे के बीच राज्य सरकार ने छह विधेयक वापस लिए. वहीं इटकी रेगुलेशन आफ बिल्डिंग संशोधन) विधेयक 2023 को पारित कर दिया गया. (नीचे भी पढ़े)
जिन विधेयकों को वापस लिया गया
- औद्योगिक विवाद झारखंड संशोधन विधेयक 2018
- झारखंड ठेका मजदूर विनियम एंव उन्मूलन( झारखंड संशोधन) विधेयक 2015
- बिहार औद्योगिक राष्ट्रीय एंव उत्सव अवकाश और आकस्मिक छुट्टी झारखंड संशोधन विधेयक 2015
- झारखंड दुकान व प्रतिष्ठान (संशोधन) विधेयक 2018
- झारखंड श्रम विधियां (संशोधन) एवं प्रकीर्ण उपबंध अधिनियम विधेयक 2018
- कारखाना (झारखंड संशोधन) विधेयक 2019