रांची : झारखंड हाईकोर्ट और झारखंड विधानसभा पर सौ करोड़ से अधिक का हर्जाना लगाने का मामला शांत होता नजर नहीं आ रहा है. इस मामले में सरयू राय के नेतृत्व और संरक्षम में चलने वाली संस्था युगांतर भारती ने हस्तक्षेप किया है. साथ ही दोषियों पर न्यायिक प्रक्रिया प्रारंभ करने की बात भी कही है. एनजीटी के उक्त आदेश के विरूद्ध कोई अपील कर स्थगन ना ले सके इसलिए याचिकाकर्ता डॉ आरके सिंह ने सर्वोच्च न्यायालय में एक अग्रिम प्रतिवाद पत्र (कैवियेट) दायर की है. इसके साथ ही झारखंड उच्च न्यायालय में भी एक अग्रिम प्रतिवाद पत्र स्वयंसेवी संस्था युगांतर भारती के कार्यकारी अध्यक्ष अंशुल शरण ने याचिकाकर्ता के तरफ से दायर किया है. इस मौके पर श्री शरण ने बताया कि एनजीटी ने जो भारी जुर्मना झाखंड के कई भवनों लगाया है, उसके विरूद्ध कोई अपील करके स्थगन न ले ले इसलिए उन्होंने उच्च न्यायालय में अग्रिम प्रतिवाद (कैवियेट) दायर किया गया है. उन्होंने बताया कि कैवियेट दायर होने के बाद बिना याचिकाकर्ता का पक्ष सुने स्थगन नहीं लिया जा सकता है. श्री शरण ने बताया कि एनजीटी एक्ट के खंड 22 के अनुसार एनजीटी के आदेश को चुनौती सिर्फ सर्वोच्च न्यायालय में ही दिया जा सकता है. उन्होंने यह भी बताया कि एनजीटी जब भी कोई जुर्माना लगाता है तो जुर्माने से प्राप्त राशि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के एक विशेष मद में जमा किया जाता है और उस राशि को सिर्फ विनिर्दिष्ट मद में ही खर्च करने का प्रावधान है. जुर्माने की राशि को तय करने का फार्मूला भी एनजीटी एक्ट में दिया गया है, किसी और फार्मूले से जुर्माने की राशि तय करना ट्रिब्यूनल की अवमानना होगी.
jharkhand-building-issue-झारखंड हाईकोर्ट व विधानसभा भवन पर जुर्माना के मामले में सरयू राय के संरक्षण वाली संस्था युगांतर भारती ने किया हस्तक्षेप, कैवियेट दायर
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