रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हेमंत सोरेन एक विवादित बयान के बाद सियासी भूचाल मचना शुरू हो गया है. हिंदुस्तान टाइम्स के लाइव शो के इंटरव्यू में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि भोजपुरी और मगही भाषा कभी भी झारखंड की भाषा नहीं है. झारखंड का बिहारीकरण होने नहीं देंगे. मुख्यमंत्री ने कहा है कि भोजपुरी और मगही बिहार की भाषा है, झारखंड की कभी भाषा नहीं रहा. इन भाषा के लोगों ने महिलाओं की इज्जत लूटकर भोजपुरी भाषा में गाली देते थे. आदिवासी और क्षेत्रीय भाषाओं के दम पर ही झारखंड अलग राज्य की लड़ाई लड़ी गयी थी, भोजपुरी और मगही भाषा की बदौलत कुछ नहीं हुआ है. किसी भी हाल में झारखंड का बिहारीकरण नहीं होने देंगे. भोजपुरी और मगही भाषा बोलने वाले लोग डोमिनेटिंग (दबंग प्रवृति) के लोग होते है. अगर भोजपुरी और मगही को भी राजभाषा का दर्जा दे दिया जाये तो बकरे और शेर को एक जैसे रख देने वाली बात होगी और फिर से बकरे का सफाया हो जायेगा. उन्होंने इस इंटरव्यू में यह भी कहा कि आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ने के दौरान वे लोग ज्यादा पढ़ नहीं पाये और वे लोग ड्राप आउट रहे है जबकि सौ करोड़ की संपत्ति अर्जित करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि डेढ़ सौ लोग हमारे परिवार में है. सौ करोड़ की संपत्ति यानी जमीन दिख सकती है, लेकिन उसका कोई मोल नहीं है क्योंकि उसकी कीमत आप बाजार मूल्य से निकालते है जबकि सीएनटी एक्ट के तहत ऐसा प्रावधान है कि कोई खरीद बिक्री नहीं हो सकती है, ऐसे में कोई मोल नहीं है. कुछ लोग इसको लेकर लोकपाल के पाय गये है, लेकिन इसका कोई खास लाभ नहीं होने वाला है. विपक्ष बेवजह मुद्दे खोज रहा है.
