
रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आइएस कैडर रुल में संशोधन के फैसले के खिलाफ एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अपना विरोध जताया है. उन्होंने इस रुल का कड़ा विरोध जताते हुए कहा है कि झारखंड जैसे राज्य में 140 आइएस अधिकारी है, जो कुल 65 फीसदी वर्कफोर्स है जबकि यहां 215 स्वीकृत पद है. इसी तरह राज्य में अभी 95 आइपीएस ऑफिसर है जबकि कुल 149 आइपीएस ऑफिसर देने की मंजूरी दी गयी है. कुल 65 फीसदी ही आइपीएस राज्य को मिला हुआ है. ऐसी ही स्थिति भारतीय वन सेवा यानी इंडियन फॉरेस्ट सर्विस (आइएफएस) की भी है. यह काफी दुखदायी स्थिति पहले से ही है. उन्होंने अपने पत्र में कड़ा विरोध जताया है और कहा है कि संशोधन का फैसला तत्काल वापस लिया जाना चाहिए. श्री सोरेन ने इससे पहले भी इस मुद्दे पर अपना विरोध जताया था. उन्होंने कहा है कि हर हाल में राज्यों को निश्चित संख्या में आइएएस-आइपीएस अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए उपलब्ध कराना होगा. आइएएस कैडर के नियमों में बदलाव के प्रस्ताव के साथ केंद्र सरकार ने राज्यों से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए अधिकारियों की सूची भेजने को कहा है. केंद्र सरकार ने आइएएस कैडर नियम 1954 में संशोधन करने जा रही है. संशोधन के प्रस्ताव को लेकर हाल ही में राज्य सरकारों से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए आइएएस ऑफिसरों की सूची भेजने को कहा गया है, जिसको लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है. केंद्र सरकार यह संशोधन 31 जनवरी से शुरू होने वाले संसद के बजट सत्र में पेश करने जा रही है. केंद्र सरकार ने झारखंड समेत तमाम राज्यों से 25 जनवरी से पहले जवाब मांगा है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि झारखंड में खनिज संपदा की भरमार है. यह मिनरल रीच स्टेट है. उन्होंने कहा है कि आइएएस कैडर नियमों में बदलाव अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बेजने के लिए राज्यों को बाध्य करेगा. इससे राज्यों में प्रशासनिक व्यवस्था प्रभावित होगी जबकि अधिकारियों की राज्यों के प्रति जवाबदेही भी कम कर देगी. आइएएस कैडर नियम 1954 में प्रस्तावित संशोधन सहकारी संघवाद की भावना (को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म) के खिलाफ है और केंद्र और राज्यों के बीच लंबे समय से बने सामंजस्वपूर्ण समझौता को बिगाड़ देगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि आइएएस और आइपीएस ऑफिसरों की पोस्टिंग को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच मौजूदा व्यवस्था बेहतर सामन्जस्य और समन्वय वाली हैं. इस कारण इसमें बदलाव काफी ठेंस पहुंचायेगी. यह कहा गया है कि नये नियम के तहत यदि किसी भी आइएएस अधिकारी को दिल्ली तलब किया जाता है तो उसे तत्काल वहां जाना होगा. नहीं जाने पर वेतन से लेकर पेंशन तक बंद हो जायेगा.
झारखंड के पहले बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान समेत कई राज्यों की सरकार कर चुका है विरोध
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विरोध के पहले पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने इसका विरोध दर्ज कराया था. इसके अलावा छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार, राजस्थान की गहलौत सरकार समेत कांग्रेस नीत कई सरकारों ने अपना विरोध किया है. इस विरोध के बाद केंद्र सरकार और राज्यों के बीच एक बार फिर से विवाद गहराता नजर आ रहा है.