रांची : झारखंड की राजधानी रांची स्थित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी कार्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में पार्टी ने फादर स्टेन स्वामी की मौत को लेकर आंदोलन की घोषणा की है. प्रेस वार्ता में बताया गया कि फादर स्टेन स्वामी की मौत की न्यायिक जांच कराने यूएपीए कानून को निरस्त करने मांगों को लेकर 15 जुलाई को जिला स्कूल मैदान रांची से 11 बजे दिन से कोविड-19 के गाइडलाइन का पालन करते हुए मार्च निकाला जाएगा. राजभवन के समक्ष प्रदर्शन के माध्यम से राष्ट्रपति को मांग पत्र समर्पित की जायगी. प्रदर्शन में कई सामाजिक एवं राजनीतिक संगठन के लोग भाग लेंगे. प्रेस वार्ता में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, झारखंड राज्य के सहायक सचिव महेंद्र पाठक ने कहा कि जब से केंद्र में मोदी की सरकार सत्ता मे आयी है तब से लगातार विपक्षी दलों, विरोधियों एवं सरकार से सवाल पूछने वाले राजनीतिक, सामाजिक, पत्रकार, बुद्धिजीवियों, लेखकों को फर्जी मुकदमों में फंसाकर जेल भेजा जा रहा है. ऐसे जनविरोधी कानून को निरस्त करने के लिए प्रतिवाद मार्च में शामिल होने के लिए लोगों से अपील किया गया. सामाजिक कार्यकर्ता, महिला नेत्री दयामणि बारला ने कहा कि फादर स्वामी झारखंड के जल, जंगल और जमीन से जोड़कर राज्य के आदिवासी, दलित, शोषित, पीड़ित लोगों की आवाज बनकर लड़ाई लड़ रहे थे. लेकिन केंद्र की सरकार जानबूझकर केस में फंसाकर जेल भेजकर उनकी मौत के घाट उतारा. उक्त मामले को सरकार न्यायिक जांच कराए. फादर स्टेन स्वामी न्यायिक मंच के कुमार वरुण ने कहा कि राज्य सहित देशद्रोही विदेश में भी स्वामी को लोग याद कर रहे हैं. उनके बताए रास्ते पर चलने के लिए लगातार आंदोलनरत है. सरकार ऐसे व्यक्ति को न्यायिक हिरासत में मौत के घाट उतारा. झारखंड के आदिवासी, दलित, पिछड़े की आवाज बनकर हमेशा लड़ते रहे. भाकपा माले के जिला सचिव भुनेश्वर केवट ने कहा कि झारखंड की जनता फादर स्टेन स्वामी नियति, नीतियों के साथ खड़ी है इसीलिए केंद्र सरकार की किसान मजदूर, जनविरोधी नीतीयों पर शासन करने के लिए बनाई गई है. उसे सरकार अविलंब निरस्त करें. भाकपा जिला सचिव अजय कुमार सिंह ने कहा कि फादर, जनता की आवाज बनकर लड़ते रहे, लेकिन 84 वर्ष की उम्र में न तो बोल पाते थे, ना ही चल पाते थे और ना ही सुन पाते थे, ऐसे व्यक्ति को कोरेगांव मामले में फंसाकर जेल भेजा गया, तो 9 महीने के अंदर भी सरकार साबित नहीं कर सकी, जेल में भी यातनाएं दी, बीमार अवस्था में भी उनका उचित इलाज सरकार नहीं करा सकी, जिसके चलते उनकी मौत हुई है. मासस नेता सुशांतो मुखर्जी ने कहा कि 15 जुलाई को राजभवन मार्च में राज्य के कई राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों के लोग भाग लेंगे ताकि फादर स्टेन स्वामी की मौत की न्यायिक जांच हो सके. मार्च के बाद उक्त मांगों के समर्थन में पूरे राज्य में सभी साथियों को एकजुट कर आंदोलन और तेज किया जाएगा. माकपा जिला सचिव सुखनाथ लोहरा ने लोगों से अपील की है कि 15 जुलाई के राजभवन मार्च को सफल बनाने के लिए अधिक से अधिक राजनीतिक व सामाजिक कार्यकर्ता आंदोलन से जुड़े और उक्त आंदोलन को राष्ट्रव्यापी आंदोलन में झारखंड आगे बढ़-चढ़कर हिस्सा लें. प्रेस वार्ता में आदिवासी अधिकार मंच के सुषमा विरोली, प्रफुल्ल लिंडा, एलीयास हेब्रम सहित कई लोग मौजूद थे. वैसे इसका जवाब इन लोगदों के पास नहीं था कि जब कोरोना को लेकर राज्य सरकार ने किसी तरह की गैदरिंग या जुलूस निकालने पर पाबंदी लगायी है तो कैसे यह राजभवन मार्च होगा.
jharkhand-communist-party-झारखंड में फादर स्टेन स्वामी की मौत के खिलाफ वामपंथी दलों और कई सामाजिक संगठनों का राजभवन मार्च 15 जुलाई को, फादर स्टेन स्वामी की मौत की न्यायिक जांच की तेज होगी मांग, यूएपीए काला कानून, वापस लेने को लेकर राजभवन पर बनेगा दबाव, आंदोलन होगा तेज, यक्ष प्रश्न-कोरोना में आंदोलन पर मनाही तो कैसे निकलेगा यह राजभवन मार्च
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