रांची : करीब एक हजार करोड़ से अधिक के घोटाले के लिए चर्चित झारखण्ड स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक के बोर्ड को झारखंड सरकार ने बर्खास्त कर दिया तथा निबंधक सहयोग समिति को बैंक का प्रशासक नियुक्त कर दिया. मंगलवार को ही प्रधानमंत्री ने देश में सहकारिता के सशक्तिकरण के लिए एक नये मंत्रालय की घोषणा करते हुए, सहकारिता क्षेत्र में सुधार की वकालत की थी, जिसके पहले शिकार झारखण्ड स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक का बोर्ड हुआ, जिसके अध्यक्ष ने बर्खास्त होने के बाद नाटकीय रूप से एक वीडियों जारी कर अपने इस्तीफा की घोषणा की. बोर्ड के बर्खास्त होते ही इस कार्यकाल में बैंक के सभी घोटालों की जांच का रास्ता भी साफ हो गया है, जिसमें सबसे चर्चित घोटाला डाटा सेंटर निर्माण घोटाला में 3 करोड़ 76 लाख का भुगतान का है, जिसमें अध्यक्ष के साथ दो निदेशक तथा एक अधिकारी की संलिप्तता उजागर हुई और इसमें रजिस्ट्रार ने कार्रवाई का आदेश भी दिया, लेकिन बोर्ड ने आदेश को दबाने के लिए लीगल ओपिनियन का बहाना लिया और दो कनीय कर्मचारियों को इसके लिए दोषी ठहरा दिया. उसी तरह किसानों को कृषि लोन न देकर बैंक के बर्खास्त बोर्ड के अध्यक्ष तथा उनके चहेते निदेशकों ने शिक्षा लोन घोटाला किया. नाटकीय घटनाक्रम के साथ ही कई घोटाले के आरोपी बोर्ड का अध्याय समाप्त हो गया है. बोर्ड के अध्यक्ष अभयकान्त प्रसाद झारखंड की राजनीति में एक सम्माननीय नाम रहे हैं, लेकिन गलत सलाहकारों ने झारखंड राज्य सहकारी बैंक में अध्यक्ष के रूप में उनकी पारी को दागदार बना दिया.
jharkhand-cooperative-bank-झारखंड स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक का बोर्ड बर्खास्त, निबंधक सहयोग समिति प्रशासक नियुक्त
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