अन्नी अमृता
जमशेदपुर: पूजा सिंघल मामले समेत झारखंड में भ्रष्टाचार के अन्य मामलों की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी) रांची के उपनिदेशक (डिप्टी डायरेक्टर) सुबोध कुमार का तबादला कर दिया गया है. सुबोध कुमार का तबादला ओड़िसा कर दिया गया है और रांची में उनकी जगह पर दिल्ली मुख्यालय से एके पांडेय को लाया गया है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एके पांडेय सुबोध कुमार से जूनियर हैं. इधर प्रमुख अफसर के तबादले से ही ईडी की पिछले दिनों की कार्रवाई और अब कार्रवाई में शिथिलता ने विभाग और सरकार के मंसूबे पर भी सवाल खड़ा कर दिए हैं. यह अंदेशा जताया जा रहा कि इस मामले की लीपापोती और केस से जुड़े तथ्यों के साथ कुछ जोड़तोड़ करने के लिए यह तबादला कर दिया गया है. बात भी सही है , अब कोई अपने पैर पर कुल्हाड़ी क्यों मारेगा?लेकिन इस प्रकरण से झारखंड में पहले से कमजोर विपक्ष नैतिकता के धरातल पर भी कमजोर नजर आने लगा है और सरयू राय सत्ता और विपक्ष दोनों को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर तर्कों के साथ कटघरे में खड़ा कर रहे हैं.वहीं राज्य की जनता को यह नहीं पच रहा है कि महत्वपूर्ण और चर्चित मामलों की जांच कर रहे सीनियर अफसर का तबादला करके उनकी जगह जूनियर अफसर को लाया गया.हालांकि इसके पीछे एजेंसी के अपने तर्क होंगे पर सवाल उठना लाज़िमी है.
सरयू राय ने ट्वीट कर दी लोगो को जानकारी, लोग देने लगे रिएक्शन
आईए नज़र डालते हैं कि आखिर विधायक सरयू राय ने क्या लिखा है और लोग उस पर कैसी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. सरयू राय की ट्वीट–“पूजा सिंघल सहित झारखंड के दर्जन भर घोटालों की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय(ED) , रांची के उपनिदेशक का तबादला कर दिया गया.मनरेगा से शुरू हुई जांच खान विभाग तक पहुंच गई थी, क्रिकेट स्टेडियम की जांच भी प्रगति पर थी.#ED के दिल्ली वाले दिमागी लाल त्वरित नतीजे चाहते होंगे या कुछ और!” इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मोहम्मद फुरकान अहमद लिखते हैं–क्योंकि राज्य के भाजपा के स्वघोषित जननेता ये जान गया कि अब जांच की सुई उन तक मुड़ गई है और अब उनका हाल खुद के पैर में कुल्हाड़ी मारनेवाला होनेवाला है. वहीं सौरभ लिखते हैं कि क्योंकि आंच शायद पूर्व सीएम रघुवर दास तक पहुंचने का अंदेशा था इसलिए… इसके जवाब में सरयू राय लिखते हैं–बिल्कुल सही. लोगों ने भी ट्वीट की प्रतिक्रिया स्वरुप लिखना शुरू कर दिया है कि आईएएस पूजा सिंघल के यहां छापेमारी से वर्तमान सरकार के साथ ही पिछली सरकार भी कटघरे में आ रही थी और तार रघुवर दास से जुड़ते ही ईडी भी शिथिल पड़ने लगी.