
लोहरदगा/लातेहार/रांची:दामोदर बचाओ आंदोलन के प्रणेता और जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय के नेतृत्व में देवनद-दामोदर नद प्रदूषण समीक्षा अभियान दल ने गंगा दशहरा के अवसर पर दामोदर के उद्गम स्थल,चूल्हापानी,लोहरदगा में पूजा-अर्चना किया और देवनद-दामोदर महोत्सव मनाया.महोत्सव में आसपास के अनेक गांवों से सैकड़ों ग्रामीणों ने भाग लिया. श्री राय ने बताया कि आज राज्यभर में 40 से अधिक स्थानों पर यह महोत्सव मनाया जा रहा है.उन्होंने जानकारी दी कि दामोदर बचाओ आंदोलन की पांच सदस्यीय दल ने जब इस स्थान का पता लगाया,उस वक्त यह स्थान घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र था. यहां से चंदवा तक इसे देवनद के नाम से जाना जाता है और आगे जाकर यही नद दामोदर कहलाता है.चूल्हापानी की यात्रा में झारखण्ड सरकार के वित्तमंत्री और विधायक रामेश्वर उरांव के पुत्र रोहित उरांव ने यात्रा दल का सहयोग किया.श्री राय ने कुड़ू के अंचलाधिकारी सहित स्थानीय अधिकारियों को इस स्थल का उचित ध्यान देने हेतु निर्देश दिया. (नीचे भी पढ़े)

उन्होंने कहा कि चूल्हापानी पर्यटन स्थल के रूप में घोषित है. लेकिन पर्यटन स्थल के के लिए आवश्यक संरचना उद्गम स्थल से 500 मीटर की दूरी पर बनाया जाय,ताकि इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता यथावत रहे, किसी तरह की बाहरी प्रदूषण इसमें बाधा न बने. साथ ही उन्होंने अधिकारियों को इसकी उद्गम स्थल के पास बनी कंक्रीट संरचना को हटाने का सुझाव दिया ताकि पानी का प्रवाह अपने मूल स्वरूप में निर्मल बहती रहे. उन्होंने उद्गम स्थल के पीछे पड़ी वनभूमि पर मिट्टी भराव कर पेड़ पौधे लगाने का भी सुझाव पदाधिकारियों को दिया.इसके बाद अभियान दल इको पार्क, चन्दवा, लातेहार का निरीक्षण एवं भ्रमण किया. पार्क दामोदर नद के तट पर बना है. श्री राय ने चंदवा के अंचलाधिकारी सहित पदाधिकारियों को राजभवन, रांची के समीप अवस्थित नक्षत्र वन के तर्ज पर यहां पर भी नक्षत्र वन बनाने, मिट्टी को जमीन से जुडे़ रहने के लिए पर्याप्त मात्रा में वृक्ष लगाने का भी सुझाव दिया. साथ ही उन्होंने नदी के किनारों पर अतिक्रमण रोकने के लिए ओपन जिम बनाने का भी सुझाव अधिकारियों को दिया. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि इस स्थान पर देवनद जहां पर संकरा हो जाता है, वहां पर चेक डैम बनाये, ताकि आवश्यकता के अनुरूप पानी संचित रहे. (नीचे भी पढ़े)
सरयू राय ने कहा कि वर्ष 2004 के 29 मई को गंगा दशहरा के दिन उद्गम स्थल चूल्हापानी की पूजा-अर्चना कर संकल्प लिया गया कि देवनद दामोदर को औद्योगिक प्रदूषण से मुक्त कराना है. जिसमें हम काफी हद तक सफल भी हुए है. लेकिन यह इतना आसान नहीं था. भागीरथी प्रयास के लिए हमने प्रत्येक वर्ष 05 जून को डीवीसी, सीसीएल, बीसीसीएल, पीटीपीएस, बीटीपीएस जैसे सार्वजनिक उपक्रमों एवं निजी प्रतिष्ठानों के कार्यालय में धरना, प्रदर्शन कर उन्हें फ्लाई ऐश दामोदर में नहीं डालने, क्लोज सर्किट बनाकर रिसाईकल करने, जीरो डिस्चार्जिंग करने का मांग किया. वर्ष 2008 में दामोदर घाटी निगम के कोलकाता अवस्थित हेडर्क्वाटर और संसद भवन, नई दिल्ली में हमें धरना-प्रदर्शन करना पड़ा. 2014 में मैंने तत्कालीन ऊर्जा मंत्री पीयुष गोयल से मुलाकात वस्तुस्थिति से उन्हें अवगत कराया. उन्होंने स्थिति की गंभीरता को समझते हुए कोल कंपनियों को अपने कचरे का निस्तारण उचित तरीके से करने के निर्देश दिये. कंपनी ने हमारी बात मानकर 2015 से क्लोज सर्किट बनाकर रिसाईकिल और जीरो डिस्चार्ज करना शुरू किया किया. (नीचे भी पढ़े)
श्री राय ने बताया कि अगस्त 2017 में जब मैंने प्रधानमंत्री जी से इस संबंध में मिला तो बातों ही बातों में प्रधानमंत्री ने कहा कि गंगा को साफ करने में 7 हजार करोड़ से ज्यादा धनराशि व्यय हो चुकी है, लेकिन गंगा साफ नहीं हो पायी है, यह अभी भी मलिन है. तो मैंने कहा कि विश्व की सर्वाधिक प्रदूषित नदियों में शुमार दामोदर नद को एक रूपये खर्च किये बगैर ही इसे औद्योगिक प्रदूषण से मुक्त करने में हमने सफलता हासिल की है.श्री राय ने कहा कि हमारा पहला संकल्प, पहला प्रयास काफी हद तक सफल हुआ है, जिसमें युगांतर भारती, नेचर फाउंडेशन, दामोदर बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता और आपसबों का महत्वपूर्ण योगदान है. (नीचे भी पढ़े)
उन्होंने कहा कि गंगा दशहरा के पावन दिवस पर आज हम दूसरा संकल्प लेते है कि हम अब दामोदर को नगरीय प्रदूषण से मुक्त करने का प्रयास करेंगे और इसमें आपसब के सहायता से सफल भी होंगे.
यात्रा दल का आयोजन युगांतर भारती, दामोदर बचाओ आंदोलन, नेचर फाउंडेशन, देवनद-दामोदर क्षेत्र विकास ट्रस्ट और झारखंड सरकार का पर्यटन, कला-संस्कृति विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किया गया. इस दल में संयोजक डॉ. एम.के. जमुआर, देवनद-दामोदर महोत्सव के स्थानीय संयोजक, बालकृष्णा सिंह, समाज सेवी ओमप्रकाश सिंह, प्रभाकर मिश्रा, पाणिभूषण, गोपाल पाठक, सुधीर कुमार ‘समीर’, युगांतर भारती के कार्यकारी अध्यक्ष, अंशुल शरण,अमेय विक्रमा, धर्मेंन्द्र तिवारी, आदि शामिल थे.