देवघर : झारखण्ड राज्य कृषि उपज एवं पशुधन विपणन विधेयक के विरोध में आज देवघर के व्यवसायियों के प्रतिनिधिमंडल ने यहां शिकारीपाड़ा विधायक नलिन सोरेन और पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव से मुलाकात की. दोनों विधायकों को अलग-अलग इस विधेयक के दुष्परिणामों से अवगत कराते हुए इससे व्यापारियों, कृषकों और आम जनता को होनेवाली कठिनाइयों की जानकारी दी गयी. (नीचे भी पढ़ें)
चैम्बर ने उन्हें बताया कि 2 प्रतिशत और एक प्रतिशत अतिरिक्त कृषि बाजार शुल्क लगाने से किस तरह यहां खाद्य वस्तुएं महंगी होंगी. कृषि उपज चावल आदि का उत्पादन लागत बढ़ेगा और खाद्यान्न व्यापारियों को माल मंगाने में अतिरिक्त भुगतान करना होगा. कैसे इस विधेयक के प्रभावी होने से व्यापारियों और किसानों को अवैध उगाही का सामना करना पड़ेगा और खाद्य पदार्थों का व्यवसाय भ्रष्टाचार के मकड़जाल में फंस जायेगा. (नीचे भी पढ़ें)
उन्होंने सरकार पर एक बार फिर इंस्पेक्टर राज लादने की कोशिश का आरोप लगाते हुए उन्हें बताया गया कि कृषि मंत्री की हठधर्मिता और बाजार समिति के पदाधिकारियों के दबाव में लाये जा रहे इस काले कानून से किसी का भला नहीं होने वाला. यह पूरी तरह व्यापारियों को परेशान करने वाला एवं लोक कल्याण के विपरीत है. उन्हें बताया गया कि पड़ोसी राज्यों बिहार, बंगाल, ओड़िशा एवं यूपी में मंडी शुल्क नहीं होने से राज्य के व्यापारियों पर इसकी मार पड़ेगी वे व्यवसाय बन्द करने या राज्य से पलायन करने को बाध्य होंगे. व्यापारियों ने उनसे मुख्यमंत्री और सरकार तक व्यापारियों की बात पहुंचाने का आग्रह करते हुए इस विधेयक को वापस लेने का दबाव बनाने का आग्रह किया गया. (नीचे भी पढ़ें)
देवघर विधायक नारायण दास से संप चैम्बर के अध्यक्ष ने बात की. उन्होंने उक्त विधेयक में व्यापारियों की चिंता से सहमति दिखाते हुए कहा कि आज वे अपनी ओर से कृषि विधेयक के विरोध और व्यापारियों के आन्दोलन का समर्थन करेंगे. विधायकों से मिलने वाले व्यापारियों में संप चैम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष आलोक मल्लिक, देवघर चैम्बर के अध्यक्ष रवि केशरी, बाजार समिति के सुरेन्द्र सिंह, गणेश भालोटिया, अशोक जैन और राजेश टिबड़ेवाल शामिल थे. दोनों विधायकों ने उन्हें उनकी बात सरकार तक पहुंचाकर उचित निर्णय लिये जाने का आश्वासन दिया.