जमशेदपुर : क्या अलग राज्य बनकर झारखंड को कुछ लाभ हुआ ? क्या जिस मुकाम तक राज्य पहुंच सकता था पहुंचा.?. शिक्षा स्वास्थ्य जैसे मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्षरत झारखंड कभी भीतरी बाहरी तो कभी भाषा की लड़ाई तो कभी भ्रष्टाचार के मामलों से जाना जाने लगा है. दूसरे राज्यों को कोयला देने वाला खुद बिजली के लिए तरसता है. प्लस टू के बाद छात्र उच्च शिक्षा के लिए राज्य से बाहर चले जाते हैं और युवक रोज़गार के लिए राज्य से बाहर.. शिक्षा पर काम करके कर्नाटक और ओड़िशा कितना आगे बढ़ गए और झारखंड कहां रह गया? प्रकृति ने इतनी खूबसूरती दी मगर पर्यटन पर कभी किसी सरकार ने ठोस काम नहीं किया. आईए आज हम सब भीतरी बाहरी की लड़ाई छोड़ एकजुट होकर झारखंड के विकास के लिए अपने अपने रोल को लेकर संकल्प ले. ये आह्वान शनिवार को पूर्व डीआईजी राजीव रंजन सिंह ने जमशेदपुर में किया. दरअसल उन्होंने गोल्डेन सिग्नेचर्स रिसर्च एंड कंसल्टिंग, नई दिल्ली की मदद से वरिष्ठ पत्रकार ओंकारेश्वर पांडेय और संजय समर के साथ मिलकर झारखंड डेवलेपमेंट कानक्लेव का जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित माइकल जॉन आडिटोरियम में आयोजन किया. इसके तहत “झारखंड कल आज और कल” विषय पर चर्चा हुई. (नीचे देखे पूरी खबर)
कार्यक्रम में खास तौर पर जमशेदपुर के सांसद विद्युतवरण महतो, जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय, ईचागढ़ की विधायक सविता महतो और बहरागोड़ा के विधायक समीर मोहंती ने भाग लिया. उसके अलावे जमशेदपुर शहर के शिक्षाविद, खेल जगत की हस्ती समेत अन्य लोगों ने शिरकत की. कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया. गोल्डेन सिग्नेचर्स के सीईओ ओंकारेश्वर पांडेय द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया. इसके बाद मुख्य आयोजक पूर्व डीआइजी राजीव रंजन सिंह द्वारा तैयार किया गया “झारखंड विजन डॉक्यूमेंट” का अतिथियों के द्वारा अनावरण किया गया. राजीव रंजन सिंह ने विषयवस्तु से परिचय कराते हुए बहुत ही विस्तार से शिक्षा, स्वास्थ्य, इंफ्रास्ट्रक्चर, इंडस्ट्रीज, एग्रीकल्चर, गरीबी के क्षेत्रों में झारखंड की वर्तमान स्थिति एवं इसका तुलनात्मक अध्ययन भारत के अन्य राज्यों से करते हुए एक रिपोर्ट पेश की. (नीचे देखे पूरी खबर)
राजीव रंजन सिंह द्वारा बताया गया कि पलायन का मुख्य कारण शिक्षा के क्षेत्र में विकास नहीं होना एवं राज्य में रोजगार का सृजन नहीं होना है. उन्होंने बताया कि आज 12वी की पढ़ाई के बाद 90% बच्चों को टेक्निकल डिग्री के लिए बंगलुरु, पुणे, भुवनेश्वर जाना पड़ रहा हैं. पढ़ने के बाद यहां रोजगार नहीं रहने के कारण बच्चों को बाहर मे ही सेटल करना पड़ रहा है. इन्फ्रास्ट्रक्चर, पावर, इंडस्ट्रीज के क्षेत्र में डेवलपमेंट नहीं होने से विगत 22 बर्षों में गरीबी और बढ़ी है . टूरिज्म में काफी स्कोप होने के बाद भी पर्यटन को उद्योग बनाने की कोई पहल नहीं हुई. अपने प्रेजेंटेशन में राजीव रंजन सिंह ने कई सुझाव भी दिए. कार्यक्रम में सांसद विद्युत वरण महतो ने कहा कि उद्योगों के लगने से जो विस्थापन हुआ उन्हें ढ़ग से मुआवज़ा नहीं मिला.साथ ही कंपनियों के सीएसआर के कार्यों में भी कमी रही.(नीचे देखे पूरी खबर)
वहीं विधायक सरयू राय ने कहा कि झारखंड के विकास के लिए सभी दलों, सत्ता-विपक्ष को कामन प्रोग्राम बनाना चाहिए. सत्ता विपक्ष में सार्थक संवाद होना चाहिए. संवाद जारी रहना विकास के लिए जरूरी.एक विश्लेषण विभाग होना चाहिए जहां जानकारों से सलाह लेकर चर्चा हो. इससे विकास के लिए उचित पहल करने में मदद करेगी. साथ ही एक आर्थिक सलाहकार की नियुक्ति होनी चाहिए. एक स्वतंत्र समूह होना चाहिए जो विभिन्न विषयों पर अपनी राय दे. संसाधनों की उपलब्धता काफी नहीं ये भी देखना होगा कि संसाधनों पर पर राज्य का कितना अधिकार है. कोयला पर-भारत सरकार का अधिकार है और झारखंड को अपनी अपनी भूमिका तलाशनी पड़ती है. राज्य में मैनुफैक्चरिंग होगा तो टैक्स का लाभ राज्य में होगा इसलिए सरकार सुनिश्चित करे कि यहीं मैनुफैक्चरिंग हो. संपत्ति का सृजन होना चाहिए. फिलहाल तो भारत सरकार पर निर्भर है. कार्यक्रम में पहुंचे बहरागोड़ा के विधायक समीर मोहंती ने कहा कि वह या उनकी पार्टी या स्वयं सीएम कभी भीतरी बाहरी के नाम पर विभेद की बात नहीं करते. जहां तक विकास की बात है तो सत्ता में आते ही कोरोना आ गया जिससे काम प्रभावित रहा. उन्होंने चाकुलिया के बंद पड़े मिलों के सवाल के मामले में उचित पहल का वायदा भी किया.