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jharkhand-eyes-on-election-commission-झारखंड की नजर केंद्रीय चुनाव आयोग पर, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर जवाब देने के लिए बस कुछ घंटे शेष, बसंत सोरेन और मिथलेश ठाकुर के भी भाग्य का हो सकता है फैसला

राशिफल

रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भविष्य का फैसला केंद्रीय चुनाव आयोग करने जा रहा है. आपको बता दें कि शुक्रवार 20 मई तक का समय चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को दिया है कि वे शेल कंपनियों और अपने नाम पर मुख्यमंत्री रहते हुए माइनिंग लीज लेने के मामले में जवाब दाखिल करें. 19 मई बीतने को है और 20 मई को अंतिम तारीख है. अब तक जवाब दाखिल नहीं किया गया है. यह संभव है कि 20 मई को ही मुख्यमंत्री अपना जवाब दाखिल करेंगे. सरकार के लिए चुनाव आयोग बड़ी मुसीबत बनी हुई है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता रहेगी या जायेगी, इस पर फैसला आना है. वहीं, उनके भाई और दुमका से विधायक झामुमो के बसंत सोरेन ने अपना जवाब चुनाव आयोग को दे दिया है. उन पर भी विधायक रहते हुए कंपनियों का संचालन करने और ठेका लेन का आरपो है. इसी तरह का एक और मामला राज्य के पेयजल आपूर्ति मंत्री मिथलेश ठाकुर के खिलाफ चुनाव आयोग के पास दिया गया है. मिथलेश ठाकुर उर्फ मुन्नु ठाकुर पर आरोप है कि वे नामांकन फार्म में गलत जानकारी दिये है. इस मामले में डीसी ने रिपोर्ट भी भेज दी है. लेकिन चुनाव आयोग को जवाब अब तक नहीं दिया गया है. मिथलेश ठाकुर को भी जवाब देने को कहा है. इन तीनों झामुमो विधायक (मुख्यमंत्री और मंत्री समेत) की सदस्यता को लेकर फैसले पर सबकी निगाहें टिकी हुई है.
जानें क्या है मामला
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर आरोप है कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए रांची जिले के अनगड़ा ब्लॉक में 88 डेसिमल में खनन पट्टे की मंजूरी के लिए आवेदन दिया था, जिसमें उत्पादन 6171 टन प्रति वर्ष दिखाया गया था. प्रोजेक्ट की लागत 26 लाख रुपये थी. बाद में जब मामला बढ़ा तो मुख्यमंत्री ने इसको सरेंडर कर दिया था. इसी तरह का कंपनी संचालन कर दोहरा लाभ लेने का आरोप उनके भाई और विधायक बसंत सोरेन पर है. मिथलेश ठाकुर भी ऐसे ही मामले के आरोपी है.

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