गुमला/जमशेदपुर : जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित नीलकमल होटल में करीब दस साल तक वेटर का काम करने वाले विष्णुदेव कच्छप आज झारखंड के गुमला जिले के घाघरा प्रखंड के बीडीओ बन चुके है. उनकी यह कहानी आज काफी चर्चित बन चुकी है. मूलत: वे पलामू जिले के चैनपुर थाना क्षेत्र के जयनगरा गांव के रहने वाले है. गांव के स्कूल में ही पांचवीं तक की पढ़ाई की, जिसके बाद वे चैनपुर के संत इग्नासियुस स्कूल में छठी से आठवीं तक की पढ़ाई की. इसके बाद वे महुआटांड के संत जोसेफ स्कूल में नौवीं और दसवीं की पढ़ाई परी की. डाल्टेनगंज स्थित कॉलेज से ग्रेजुएशन और पीजी की. घर की माली हालत ठीक नहीं थी. रोज कमाते थे, तब जाकर पूरा घर खा पाता था. इसके बाद वे जमशेदपुर आ गये. जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित नीलकमल होटल में वे दस साल तक वेटर का काम करने लगे. इस दौरान वे वेटर का काम करते हुए पढ़ाई करते थे. इस दौरान ही उन्होंने जेपीएससी की परीक्षा दी, जिसके बाद वे सफल हो गये और आज वे गुमला जिले के घाघरा प्रखंड में बीडीओ बन गये है. गरीबों की मदद के लिए भी वे अक्सर आगे आकर काम करते है. गरीबों का कोई मुद्दा हो, वे उसे दूर करने में लग जाते हैं. उनमें काम करने का जबरदस्त जुनून है. बीडीओ बनने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए विष्णुदेव कच्छप ने बताया कि उनको यह विश्वास था कि वे जरूर सफल होंगे. उन्होंने बताया कि वे काफी कष्ट में थे, लेकिन कभी कठिनाइयों को हावी होने नहीं दी. सारी परिस्थितियों में पढ़ाई नहीं छोड़ी. सुबह 6 बजे से लेकर आधी रात तक होटल में वेटर का काम करते थे. उसके बाद बचे हुए समय में पढ़ाई और सिर्फ दो से तीन घंटे सो पाते थे. बीडीओ ने युवाओं से अपील की है कि वे जितना भी कठिन राह हो, लेकिन पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए. कठिन परिस्थिति ही आगदे का रास्ता दिखाती है. ऐसे समय में धैर्य से काम लेना चाहिए, आगे बढ़ना चाहिए. गलत रास्तों को नहीं चुनना चाहिए. पढ़ाई में ऐसी ताकत है, जो किसी में नहीं है, पढ़ाई से हम हर वह चीज हासिल कर सकते है, जिसको हम चाहते है. बस लक्ष्य निर्धारित कर कठिन परिश्रम करते हुए किसी भी विषम परिस्थितियों में पीछे ना देखकर निरंतर आगे बढ़ते रहने की जरूरत है. मेहनत का कोई विकल्प नहीं है.