
रांची : झारखंड में कौड़ी के मोल मिलने वाला मुनगा (जिसको सुटी और सजन का सब्जी भी कहते है) और मुनगा साग अमेरिका में 60 हजार रुपये किलो बिकता है. आपको सुनकर भले अचरज हो, पर है यह सौ टके सही खबर है. इस सच को साबित कर दिखाने में रांची की प्रमुख संस्था गुड बुक सेंटर को काफी पापड़ बेलने पड़े थे. संस्था के फाउंडर डायरेक्टर डॉ राकेश पॉल बताते हैं कि झारखंड में कई ऐसे औषधीय पौधे और फल हैं, जिनका न सिर्फ हमारे देश, बल्कि विदेशों में भी बहुत डिमांड है. मेडिसिनल वैल्यू वाले ये उत्पाद अमेरिका, ब्राजील और आस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों के बाजार में काफी लोकप्रिय हैं. इनमें मुनगा साग, मड़ुआ, तुलसी, पलाश फूल, अगस्त फूल, बेंग
साग, एलोवेरा, गिलॉय आदि शामिल हैं. झारखंड के इन मेडिसिनल प्लांटों को अंतराष्ट्रीय बाजार में परोसने में गुड न्यूज सेंटर (जीएनसी) का प्रयास
और भूमिका काफी महत्वपूर्ण है.

मुनगा कोविड में मेडिसिनल प्लांट का बढ़ा बाजार : डॉ पॉल
कोविड महामारी के दौरान वैश्विक बाजार में मेडिसिनल प्लांटों की डिमांड काफी बढ़ गयी. हमने अपने उत्पादों का मार्केट सर्वे किया, जिसमें हमारी धर्मपत्नी लेनी पॉल (जो ब्राजील की है) का विशेष योगदान था. सर्वे से पता चला कि अमेरिका में मुनगा साग 60 हजार रुपये प्रति किलो बिक रहा है. इसी तरह आयरन से भरपूर मड़आ और एलोवेरा जेल का भी काफी डिमांड है. बेंग साग, जो पेचिश के इलाज और पेट को ठंडा रखने में काफी उपयोगी है, का भी अन्तराष्ट्रीय बाजार में काफी मांग है. डायबिटीज का रामबाण इलाज गिलॉय और सदाबहार फूल, फुटकल, पलाश का फूल और अगस्त फूल का भी खासा डिमांड है. स्थानीय युवाओं के माध्यम से इन पौधों की प्रोसेसिंग कर
इंटरनेशनल मार्केट में भेजने लायक बनाया जा रहा है. (नोट : यह खबर साभार है)