रांची : झारखंड सरकार ने पंचायत चुनाव को लेकर अहम कदम उठाए है. अभी जब तक पंचायत चुनाव नही होता है तब तक के लिए पंचायत के मुखिया, ज़िला परिषद के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों से लेकर हर किसी का अधिकार बरकरार रखा है. इसके लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है.
झारखण्ड राज्य में गत पंचायत चुनाव वर्ष 2015 में संपन्न हुए थे पाँच वर्ष की अवधि पूर्ण कर लेने के पश्चात् ये त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाएँ विघटित हो गई है। कोरोना महामारी के कारण ससमय पंचायत निर्वाचन संपन्न नहीं हो सका है। अतः झारखण्ड पंचायत राज अधिनियम 2001 की धारा 24 (4) (ग्राम पंचायत के संदर्भ में), धारा 42 (4) ( पंचायत समिति के संदर्भ में) तथा धारा 57 (4) (जिला परिषद के संदर्भ में) के तहत उनके कार्य संचालन की वैकल्पिक व्यवस्था के लिए झारखण्ड पंचायत राज अधिनियम की धारा 107 (3) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए राज्य सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि कार्यकारी समिति का गठन संबंधित जिले के उपायुक्त द्वारा निम्न रूपेण किया जाएगा :
(1) ग्राम पंचायत
सामान्य क्षेत्र में ग्राम पंचायत के विघटन के पश्चात् ग्राम पंचायत के कार्यों के संचालन के लिए निम्नवत कार्यकारी समिति गठित की जाएगी :-
अध्यक्ष- विघटित पंचायत के मुखिया
सदस्य- विघटित पंचायत के सभी निर्वाचित वार्ड सदस्य
सदस्य- प्रखण्ड पंचायत राज पदाधिकारी
सदस्य- प्रखण्ड समन्वयक (झारखण्ड पंचायत राज स्वशासन परिषद)
सदस्य- अंचल निरीक्षक
सदस्य- प्रखण्ड विकास पदाधिकारी द्वारा नामित ग्राम पंचायत क्षेत्र का निवासी और राज्य/केन्द्र/सेना/रेल / सार्वजनिक उपक्रम से (वर्ग-III से अन्यून श्रेणी) सेवानिवृत्त कोई एक व्यक्ति ।
अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम पंचायत के विघटन के पश्चात् ग्राम पंचायत के कार्यों के संचालन के लिए निम्नवत कार्यकारी समिति गठित की जाएगी :-
अध्यक्ष- विघटित पंचायत के मुखिया
सदस्य- विघटित पंचायत के सभी निर्वाचित वार्ड सदस्य
सदस्य- प्रखण्ड पंचायत राज पदाधिकारी
सदस्य- प्रखण्ड समन्वयक (झारखण्ड पंचायत राज स्वशासन परिषद)
सदस्य- अंचल निरीक्षक
सदस्य- ग्राम पंचायत के अन्तर्गत सभी पारम्परिक प्रधान चाहे उन्हें जिस नाम से जाना जाता हो।
कार्यकारी समिति अध्यक्ष का पदनाम मुखिया के स्थान पर “प्रधान, कार्यकारी समिति ग्राम पंचायत” रहेगा। प्रधान, कार्यकारी समिति के सभी कार्य निष्पादित करेगा जो एक निर्वाचित मुखिया द्वारा किया जा सकता है।
प्रखण्ड पंचायत राज पदाधिकारी, अंचल निरीक्षक एवं प्रखण्ड समन्वयक (झारखण्ड पंचायत राज स्वशासन परिषद) पंचायत की कार्यकारी समिति में सरकार के प्रतिनिधि के रूप में रहेंगे ये ग्राम पंचायत के लिए गठित कार्यकारी समिति की बैठक में उपस्थित रहेंगे परंतु इन्हें मतदान का अधिकार नहीं रहेगा। परंतु पंचायत के वित्तीय संव्यवहार या योजना कियान्वयन में किसी प्रकार की अनियमितता को रोकना तथा जिला पंचायत राज पदाधिकारी एवं विभाग के संज्ञान में लाना इनकी जबाबदेही होगी।
(2) पंचायत समिति
पंचायत समिति के विघटन के पश्चात् पंचायत समिति के कार्यों के संचालन के लिए निम्नवत कार्यकारी समिति गठित की जाएगी :-
अध्यक्ष- विघटित पंचायत समिति के प्रमुख
सदस्य- विघटित पंचायत समिति के विघटन की तिथि को झारखण्ड पंचायत राज अधिनियम की धारा 33 के अनुसार सदस्य रहे व्यक्ति
सदस्य- जिला पंचायत राज पदाधिकारी
सदस्य- संबंधित प्रखण्ड क्षेत्र के अनुमण्डल पदाधिकारी
सदस्य- संबंधित प्रखण्ड क्षेत्र के अंचल पदाधिकारी
कार्यकारी समिति अध्यक्ष का पदनाम प्रमुख के स्थान पर “प्रधान, कार्यकारी समिति पंचायत समिति” रहेगा। प्रधान, कार्यकारी समिति, पंचायत समिति वे सभी कार्य निष्पादित करेगा जो एक निर्वाचित प्रमुख द्वारा किया जा सकता है।
जिला पंचायत राज पदाधिकारी, संबंधित प्रखण्ड क्षेत्र के अनुमण्डल पदाधिकारी एवं संबंधित प्रखण्ड क्षेत्र के अंचल पदाधिकारी कार्यकारी समिति में सरकार के प्रतिनिधि के रूप में रहेंगे। ये पंचायत समिति के लिए गठित कार्यकारी समिति की बैठक में उपस्थित रहेंगे परंतु इन्हें मतदान का अधिकार नहीं रहेगा। पंचायत समिति के वित्तीय संव्यवहार या योजना कियान्वयन में किसी प्रकार की अनियमितता को रोकना तथा उपायुक्त एवं विभाग के संज्ञान में लाना इनकी जबाबदेही होगी।
(3) जिला परिषद
जिला परिषद के विघटन के पश्चात् जिला परिषद के कार्यों के संचालन के लिए निम्नवत कार्यकारी समिति गठित की जाएगी :
अध्यक्ष-विघटित जिला परिषद के अध्यक्ष
सदस्य- विघटित जिला परिषद के विघटन की तिथि को झारखण्ड पंचायत राज अधिनियम
की धारा 49 के अनुसार सदस्य रहे व्यक्ति
सदस्य- कार्यपालक पदाधिकारी, जिला परिषद
सदस्य- निदेशक, ग्रामीण विकास अभिकरण (डी०आर०डी०एo) सदस्य- परियोजना निदेशक, आई0टी0डी0ए0 एवं उनके अभाव में जिला कल्याण पदाधिकारी कार्यकारी समिति अध्यक्ष का पदनाम प्रमुख के स्थान पर “प्रधान, कार्यकारी समिति जिला परिषद” रहेगा। प्रधान, कार्यकारी समिति..जिला परिषद वे सभी कार्य निष्पादित करेगा जो एक निर्वाचित अध्यक्ष, जिला परिषद द्वारा किया जा सकता है।
कार्यपालक पदाधिकारी, जिला परिषद, निदेशक, ग्रामीण विकास अभिकरण (डी0आर0डी0ए0) एवं परियोजना निदेशक, आईoटी०डी०ए० एवं उनके अभाव में जिला कल्याण पदाधिकारी कार्यकारी समिति में सरकार के प्रतिनिधि के रूप में रहेंगे ये जिला परिषद के लिए गठित कार्यकारी समिति की बैठक में उपस्थित रहेंगे परंतु इन्हें मतदान का अधिकार नहीं रहेगा। जिला परिषद के वित्तीय संव्यवहार या योजना कियान्वयन में किसी प्रकार की अनियमितता को रोकना तथा उपायुक्त एवं विभाग के संज्ञान में लाना इनकी जवाबदेही होगी।
(4) ग्राम सभा- झारखण्ड पंचायत राज अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप ग्राम सभा का आयोजन चाहे जिस उद्देश्य से हो, किया जा सकेगा ग्राम सभा की अध्यक्षता अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप पारम्परिक प्रधान अथवा ग्राम पंचायत के लिए बनी कार्यकारी समिति के प्रधान द्वारा किया जा सकेगा।
(5) पंचायत सचिव, प्रखण्ड विकास पदाधिकारी तथा उप विकास आयुक्त सह-मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी पूर्ववत अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे। (6) तीनों स्तरों के लिए गठित कार्यकारी समिति के गैर सरकारी सदस्यों (निर्वाचित तथा नामित) को बैठक में भाग लेने हेतु यात्रा भत्ता नियमानुसार अनुमान्य होगा। संबंधित कार्यकारी समिति के प्रधान के रूप में मात्र उन्हीं शक्तियों का प्रयोग किया जा सकेगा, जो उन्हें मुखिया, प्रमुख या जिला परिषद अध्यक्ष के पदेन कर्त्तव्य के निर्वहन के लिए अनिवार्य हो। पद के साथ अंतर्विष्ट अन्य शक्तियों तथा सुविधाएँ अनुमान्य नहीं होगी तथा उन्हें झारखण्ड पंचायत राज अधिनियम द्वारा निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को प्रदत्त संरक्षण का लाभ भी नहीं मिलेगा । समिति के अन्य सदस्यों की तुलना में प्रत्येक स्तर के प्रधान, कार्यकारी समिति की स्थिति “समान में प्रथम” के जैसी होगी।
(7) प्रधान, कार्यकारी समिति, समिति के गठन की तिथि से अपना कार्यभार ग्रहण किए हुए समझे जाएंगे। कोई भी कार्यकारी समिति अपने गठन की तिथि से अधिकतम छः माह या चुनाव तक, जो भी पहले हो तक कार्य करेगी। ग्रामीण विकास विभाग (पंचायती राज) समय-समय पर आवश्यक दिशा निदेश निर्गत कर सकेगा।