रांची : झारखंड सरकार का एक साल पूरा हो गया. 9 दिसंबर को एक साल पूरा हो गया. एक साल में से मार्च 2020 से झारखंड की सरकार कोरोना के संक्रमण और उससे ही जूझती रही. हालात यह हुआ कि राज्य के छह मंत्री कोरोना से संक्रमित हो गये जबकि एक मंत्री की मौत हो गयी. 81 में से 12 विधायक कोरोना से संक्रमित हो गये. अब तक कोरोना के पूरे संक्रमण को रोका नहीं जा सका है. ऐसे में हालात यह है कि अब तक पूरी कैबिनेट नहीं है. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो तो अब भी अस्पताल में है और उनका फेफड़ा तक बदलना पड़ा है. हालात यह है कि एक मंत्री का पद पहले से खाली था तो हाजी हुसैन अंसारी की कोरोना के बाद हुई मौत के बाद से दूसरा मंत्रीपद भी खाली है. एक विधायक के तौर पर पूर्व उपमुख्यमंत्री राजेंद्र सिंह का निधन हो चुका है. ऐसे में उपचुनाव भी हो गया है. अब तक पूरा मंत्रिमंडल नहीं बनाया जा सका है और पूरी कैबिनेट पूरी नहीं हो सकी है. 81 विधायक समेत कुल 82 विधायकों (एक मनोनित समेत) वाली राज्य की विधानसभा कुल संख्या का अधिकतम 15 फीसदी यानी न्यूनतम 12 मंत्री बनाया जाना है. मुख्यमंत्री बनने के बाद से हेमंत सोरेन एक मंत्री पद खाली लेकर ही चल रहे थे जबकि मुख्यमंत्री रहते हुए भाजपा के रघुवर दास की सरकार भी एक मंत्रीपद को खाली रखकर ही चलती रही थी. उस वक्त हेमंत सोरेन विपक्ष में थे तो भाजपा पर निशाना साध रहे थे तो अभी खुद एक मंत्रीपद पहले से खाली रखे है और एक मंत्री का देहांत हो चुका है. संवैधानिक बाध्यता के बावजूद पूर्ण कैबिनेट का गठन नहीं हो पाया है. वैसे वर्ष 2008-2009 में विधायक सरयू राय ने झारखंड हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें हाईकोर्ट ने इस पर मंतव्य दिया था कि इसका निर्धारण राज्यपाल कर सकते है. वैसे संविधान कहता है कि सदन की कुल क्षमता का अधिकतम 15 फीसदी तक मंत्री बनाया जाना चाहिए, जिसमें मुख्यमंत्री शामिल है.