जमशेदपुर : झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को एक बार फिर से विधानसभा में ही विधायक सरयू राय ने घेर लिया है. विधानसभा अध्यक्ष को एक पत्र लिखकर सदन की अवमानना का मामला स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के खिलाफ चलाने की मांग की है और कहा है कि 16 मार्च को सदन की कार्यवाही की दूसरी पाली में जो जवाब स्वास्थ्य मंत्री ने दिया है, उसके तहत जिन कागजातों के आधार पर मंत्री सदन में वक्तव्य दे रहे हैं, उन्हें सदन पटल पर रखने का निर्देश उन्हें दिया जाए. (नीचे भी पढ़ें)
इस संदर्भ में सरयू राय ने विधानसभा की कार्यवाही या नियमावली के प्रासंगिक प्रावधानों को भी उद्धृत किया परंतु विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इसका संज्ञान नहीं लिया गया. विधायक सरयू राय ने कहा है कि समाचार पत्रों में मंत्री का सदन में दिए गए वक्तव्य का प्रासंगिक अंश प्रमुखता से प्रकाशित हुआ है इसलिये निवेदन सरयू राय ने किया है कि स्वास्थ्य मंत्री को निर्देशित किया जाये कि वे सदन के समक्ष दिये गये अपने वक्तव्य से संबंधित दस्तावेज सदन पटल पर रखें अथवा ग़लत बयानी के लिए सदन से क्षमायाचना करें अन्यथा उनके विरूद्ध सदन की अवमानना की कार्रवाई आरम्भ की जाए. (नीचे भी पढ़ें)
उन्होंने बताया कि उनके द्वारा ध्यानाकर्षण का मर्म यही था कि मंत्री ने अपने कार्यकाल में अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर थोक के भाव से स्थानांतरण, पदस्थापन, प्रतिनियुक्तियां की हैं जो झारखंड सरकार की कार्यपालिका नियमावली के प्रासंगिक प्रावधानों का उल्लंघन है. ऐसा उन्होंने मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बग़ैर किया है और बड़ी संख्या में किया है. (नीचे भी पढ़ें)
अपने लिखित उत्तर में उन्होंने सदन को बताया कि ऐसे सभी मामलों में मुख्यमंत्री का अनुमोदन लिया गया है. श्री राय ने कहा कि उनके जवाब को सदन में चुनौती दिया, उसे असत्य बताया और कहा कि मुख्यमंत्री या मुख्य सचिव द्वारा मांगे जाने पर भी स्वास्थ्य विभाग संचिकाएं नहीं भेजता है. वास्तव में स्वास्थ्य मंत्री की सदन के समक्ष गलतबयानी के लिए उनपर सदन की अवमानना की कार्रवाई होनी चाहिए और मंत्रिपरिषद के सामुहिक दायित्व का पालन नहीं करने के लिए, कार्यपालिका नियमावली के प्रावधानों का बार-बार उल्लंघन करने के लिए और मुख्यमंत्री या मुख्य सचिव के यहां से मांगे जाने पर भी संचिका नहीं भेजने के लिये मुख्यमंत्री को चाहिए कि स्वास्थ्य मंत्री को मंत्रिपरिषद से बर्खास्त करें, परंतु सदन में इस मामले पर वाद-विवाद के समय मुख्यमंत्री वहाँ मौजूद रहे, पूरा समय चुप्पी साधे रहे. इसके बाद का नियमन हुआ कि स्वास्थ्य मंत्री संबंधित संचिका मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत करेंगे और मुख्यमंत्री इस पर निर्णय लेंगे. अब मामला मुख्यमंत्री के पाले में है. उन्होंने ऐसे पांच बिंदू का उल्लेख किया है, जिसमें गलत बयानबाजी स्वास्थ्य मंत्री ने किया है और सदन को गुमराह किया है.