रांचीः झारखंड हाईकोर्ट में धनबाद के जज उतम आनंद की हत्या मामले में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने एसआईटी स्टेटस रिपोर्ट पर नाराजगी जताई. इस दौरान हाई कोर्ट ने कई सवाल उठाए, पूछा कि जब घटना सुबह 5:08 की है तो प्राथमिकी 12.45 पर क्यों दर्ज की गई. जबकि सीसीटीवी फुटेज में जज को तुरंत उठाकर निजी अस्पताल पहुंचाया गया. यह भी पूछा कि क्या फर्द बयान के बाद ही प्राथमिकी दर्ज किए जाने का प्रावधान है. सरकार ने अदालत को बताया गया कि मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है. इसके लिए सरकारी स्तर से अनुशंसा कर दी गई है.सीबीआई के अधिवक्ता ने कहा कि उन्हें राज्य सरकार की ओर से अनुशंसा से संबंधित पत्र मिला है. सीबीआई जांच के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इस पर अदालत ने कहा कि तत्काल इस मामले में सीबीआई जांच शुरू कर दी. ताकि साक्ष्य के साथ से किसी तरह छेड़छाड़ ना हो सके, अदालत ने इस मामले की जांच के लिए सीबीआई को सभी दस्तावेज और लॉजिस्टिक सपोर्ट देने का भी निर्देश दिया है. अदालत ने राज्य के डीजीपी को कहा है कि तत्काल धनबाद के न्यायिक पदाधिकारियों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए जाएं. उनके आवासीय क्षेत्र में भी पुलिस जवानों की तैनाती की जाए. क्योंकि इस घटना के बाद से न्यायिक पदाधिकारी अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी न्यायिक पदाधिकारी पर हमला हुआ. इसको देखते हुए सरकार को तुरंत न्यायिक पदाधिकारियों की सुरक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए. इस बार डीजीपी नीरज सिन्हा ने तुरंत सुरक्षा प्रदान करने का कोर्ट को आश्वासन दिया है.सुनवाई के दौरान अदालत ने सवाल उठाया कि जब पिछली सुनवाई के दौरान उन्होंने इस मामले को सीबीआई को सौंपने कहा था तो महाधिवक्ता की ओर से कहा गया कि इससे पुलिस के अधिकारियों मनोबल टूटेगा। ऐसे में अब क्या हुआ कि सरकार अपने ही बातों से पलट गई. महाधिवक्ता ने कहा कि इस मामले में की जांच सीबीआई को इसलिए सौंपा जा रहा है कि इसके तार दूसरे राज्य से जुड़े हो सकते हैं. इस स्थिति में सीबीआई ही इस मामले की जांच के लिए उपयुक्त है क्योंकि अगर इस मामले के जांच दूसरे राज्यों से जुड़ते हैं तो पुलिस को जांच करने में परेशानी होगी.