रांची : झारखंड हाई कोर्ट में राज्य में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति के मामले में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई करते हुए न्यायधीश डॉ एसएन पाठक ने कड़ी टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि राज्य गठन को 21 वर्ष होने को है लेकिन सरकार ने आज तक महत्वपूर्ण पदो पर लोगों की बहाली नहीं है , अब करने जा रही है तो वह संविदा के आधार पर जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है. हाई कोर्ट ने कहा कि सिर्फ शिक्षा विभाग की ही स्थिति नहीं है कमोवेश राज्य के सभी विभागो में इसी तरह का काम हो रहा है, जो न्यानसंगत नहीं है. (नीचे भी पढ़े)
कोर्ट ने सरकार व सभी विवि को प्रतिवादी बनाते हुए पूछा कि राज्य के विवि में सहायक प्रोफेसर के कितने पद खाली है और कितने पद सृजित है. साथ ही विवि व कालेज में कितने लोग पद पर काम कर रहे है. इनकी सभी जानकारी 15 दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई के दौरा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. विदित हो कि सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति मामले में ब्रह्मानंद साहू समेत 64 लोगों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है. (नीचे भी पढ़े)
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता चंचल जैन ने बताया कि वर्ष 2017 से सभी लोग सहायक प्रोफेसर के पद पर संविदा के जरिए कार्यरत हैं. मार्च 2021 में राज्य सरकार ने एक विज्ञापन जारी कर फिर से संविदा के जरिए ही सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है. जिसपर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की गई है.