रेमडेसिविर कालाबाजारी के आरोपी को जमानत मिली
झारखंड हाईकोर्ट ने रांची में रेमडेसिविर कालाबाजारी मामले में आरोपी राजीव सिंह को जमानत प्रदान कर दी. झारखंड हाईकोर्ट केजस्टिस आर मुखोपाध्याय की अदालत में राजीव सिंह की याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने राजीव सिंह को 10-10 हजार रुपये के दो निजी मुचलकों पर जमानत प्रदान कर दी. राजीव सिंह की ओर से झारखंड हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट आरएस मजुमदार ने बहस की थी. रेमडेसिविर को लेकर होने वाली कालाबाजारी के खुलासे के बाद रांची पुलिस ने राजीव सिंह को गिरफ्तार किया था. बाद में कोतवाली थाना में केस दर्ज किया गया था. सीआइडी को यह मामला भेज दिया गया था. इसकी जांच डीएसपी रैंक के अधिकारी कर रहे थे जबकि हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद एडीजी अनिल पालटा पूरे केस की मोनिटरिंग कर रहे थे.
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की पत्नी के जमीन खरीद मामले की सुनवाई टली
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की पत्नी अनामिका गौतम की जमीन खरीदने के मामले की सुनवाई झारखंड हाईकोर्ट में टल गयी है. निशिकांत दुबे की पत्नी अनामिका गौतम ने झारखंड हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें देवघर डीसी के उक्त आदेश को रद्द करनेकी मांग की है, जिसमें देवघर डीसी द्वारा उनकी जमीन धन्य भूमि इंटरप्राइजेज के नाम पर दाखिल खारिज हो चुका था, जिसके बाद म्यूटेशन को रद्द करने का आदेश डीसी ने दे दिया. यह जमीन देवघर जिले के देवीपुर के होड़ाकुरा मौजा में है. जमीन 30.9 एकड़ है. इस जमीन का मामला काफी दिनों से देवघर डीसी के पास, जिसके बाद उनकी जमीन के म्यूटेशन को ही रद्द कर दिया.
छठी जेपीएससी मामले में डबल बेंच में सुनवाई, 5 अक्तूबर को अगली सुनवाई
झारखंड हाईकोर्ट में छठी जेपीएससी के मामले में डबल बेंच में सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता पीएन शाही, अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया और प्रशांत भूषण ने उनका पक्ष रखा. प्रतिवादियों की ओर से एडवोकेट अजीत कुमार, मीनाक्षी अरोड़ा, अजीत कुमार, सुभाष रसिक सोरेन, अपराजिता भारद्वाज और कुमारी सुगंधा ने बहस की. इस दौरान डबल बेंच की खंडपीठ ने सभी पक्षों की सहमति से मामले की सुनवाई 5 अक्तूबर को निर्धारित कर दिया गया. तब तक यथास्थिति बहाल रखने का आदेश दिया गया है. हाईकोर्ट में सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन और पीयुष चित्रेश ने कोर्ट को बताया कि सरकार सिंगल बेंच में दायर रिट का विरोध किया था, लेकिन अब सरकार सिंगल बेंच के आदेश को ही लागू करना चाहतीहै. इस पर कोर्ट ने कहा कि अभी रुकिये, यह कई लोगों की नौकरी का मामला है. अभी इस मामले की सुनवाई 6 सप्ताह बाद होगी. चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन और जस्टिस सुजीत नारायण की डबल बेंच में सुनवाई हुई. आपको बता दें कि झारखंड लोकसेवा आयोग (जेपीएससी) का रिजल्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सुनवाई करते हुए मेरिट लिस्ट रद्द करते हुए 326 अभ्यर्थियों की नियुक्ति को रद्द कर दिया था और अवैरध करार दिया था. इसको ही डबल बेंच में चुनौती दी गयी है. प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण, झारखंड हाईकोर्ट के एडवोकेट इंद्रजीत सिन्ह समेत कई वकीलों ने बहस की.
5 करोड़ से ज्यादा की धोखाधड़ी मामले में कोलकाता के व्यापारी हेमंत गोयल और उनके पिता के खिलाफ दायर एफआइआर रद्द करने से हाईकोर्ट का इनकार
झारखंड हाईकोर्ट ने 5 करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी करने के आरोपी कोलकाता के व्यापारी हेमंत गोयल और उनके पिता अनिल गोयल के खिलाफ दर्ज एफआइआर को रद्द करने से इनकार कर दिया है. वैसे हाईकोर्ट ने दोनों को तत्काल जमानत दे दी है. आरोपियों द्वारा केस के खिलाफ हाईकोर्ट में क्वैशिंग फाइल की गयी थी, जिस पर जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में सुनवाई हुई. हेमंत गोयोल और उनके पिता अनिल गोयल नर्सिंग इस्पताल प्राण उद्योग लिमिटेड के मालिक हैं. हेमंत गोयल और अनिल गोयल समेत अन्य चार लोगों के खिलाफ धनबाद के धनसार थाना में 5 करोड़ 36 लाख 96 हजार 878 रुपये की धोखाधड़ी करने के मामले में एफआइआर दर्ज करायी गयी थी. पुराना बाजार के प्रकाश अग्रवाल ने यह एफआइआर दायर की थी. इस मामले में पुलिस ने दोनों को धनबाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. दोनों को कोलकाता से गिरफ्तार किया गया था.
झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा में हिंदी को शामिल करने के लिए एकता विकास मंच ने दायर की याचिका
झारखंड कर्मचारी चयन आयोग परीक्षा (जेएसएससी) की परीक्षा में हिंदी को जोड़ने की मांग को लेकर सरायकेला-खरसावां जिले की सामाजिक संस्था एकता विकास मंच ने झारखंड हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. इस जनहित याचिका में मंच की ओर से अधिवक्ता रितु कुमार ने अपनी जनहित याचिका में सरकार के नयी नियमावली को चुनौती दी है और हिंदी को जोड़े जाने की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि ऊर्दू को जनजातीय भाषा की श्रेणी में राजनीतिक मंशा के कारण ररखा गया है. झारखंड के अधिकांश सरकारी स्कूलों में हिंदी की पढ़ाई होती है. ऊर्दू की पढ़ाई एक खास वर्ग के लोग मदरसे में करते है. ऐसे में किसी खास वरर्ग को सरकारी नौकरी में अधिक अवसर देना और हिंदी भाषा को जानने वाले लोगों को मौका नहीं देना गलत है. इस कारण राज्य सरकार की नियमावली के दो प्रावधानों को निरस्त किया जाना चाहिए. हाईकोर्ट की अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज और कुमारी सुगंधा ने बताया है कि इस केस में प्रार्थी रमेश हांसदा भी है. आपको बता दें कि राज्य सरकार ने नियमावली में संशोधन करते हुए क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं की सूची से हिंदी और अंग्रेजी को बाहर कर दिया है जबकि ऊर्दू, ओड़िया और बांग्ला भाषा को शामिल किया यगा है. सरकार के इस फैसले को ही चुनौती दी गयी है.